मुंबई, 24 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार प्राप्त किया। इस मौके पर उन्होंने मशहूर गायिका को एक ऐसे कलाकार के रूप में याद किया, जो राष्ट्र-निर्माण का एक अभिन्न हिस्सा रहीं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भाजपा और शिवसेना के बीच तनातनी के बीच इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद मोदी ने कहा, ”स्वरकोकिला होने के साथ ही लता दीदी मेरी बड़ी बहन की तरह थीं। उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेम और करुणा की भाषा सिखाई। मैं खुद को भाग्यशाली महसूस करता हूं कि उन्होंने मुझे बड़ी बहन की तरह प्यार दिया। कई दशक बाद आने वाला रक्षाबंधन का त्योहार उनके बिना होगा।”
मशहूर गायिका का इस साल फरवरी में 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।
ठाकरे और उनके परिवार के सदस्यों ने 80 वर्षीय चंद्रभागा शिंदे से शाम में परेल स्थित उनके आवास पर मुलाकात की, जो एक दिन पहले निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के खिलाफ शिवसेना कार्यकर्ताओं के विरोध का चेहरा बनीं।
महाराष्ट्र के मंत्री एवं राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह के निमंत्रण पत्र को ट्वीट करते हुए कहा कि इसमें उद्धव ठाकरे का नाम नहीं है।
आव्हाड ने ट्वीट किया, ‘‘मंगेशकर परिवार ने लता मंगेशकर पुरस्कार समारोह के निमंत्रण पत्र पर मुख्यमंत्री के नाम का जिक्र करने से परहेज किया। उनकी भूमिका समझ से परे है। मंगेशकर परिवार का यह कृत्य 12 करोड़ मराठी लोगों का अपमान है।’’
समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लता मंगेशकर ने 80 वर्षों से अधिक समय तक अपनी आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कहा कि ग्रामोफोन, सीडी, डीवीडी, पेन ड्राइव और डिजिटल संगीत से लेकर ऐप के युग तक लता मंगेशकर ने अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरा।
मोदी ने कहा, ”गीतों की दुनिया और इसकी यात्रा लता दीदी की यात्रा के साथ चली, जिन्होंने कलाकारों की पांच पीढ़ियों को अपनी आवाज दी और भारत को गौरवान्वित किया। इस ग्रह पर उनकी यात्रा का अंत ऐसे समय में हुआ, जब हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”उन्होंने आजादी से पहले भी भारत को अपनी आवाज दी। देश की 75 वर्षों की यात्रा हमेशा उनके सुरों से सजी रही। हमारा पूरा राष्ट्र देश के वास्ते दिए गए योगदान के लिए मंगेशकर परिवार का आभारी है। गायिकी के अलावा लता मंगेशकर के भीतर राष्ट्र भक्ति का जज्बा रहा, जिसके पीछे उनके पिता का हाथ था।”
मोदी ने रविवार को पुरस्कार प्राप्त किया, जब लता मंगेशकर के पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की 80वीं पुण्यतिथि है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आमतौर पर सम्मान समारोहों से दूर रहते हैं, लेकिन महान गायिका के नाम पर पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार प्राप्त करना एक अपवाद है, क्योंकि वह उन्हें अपनी ‘बड़ी बहन’ मानते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आमतौर पर इस तरह के सम्मान समारोहों से खुद को दूर रखता हूं। मैं खुद को ऐसे कार्यक्रमों में समायोजित नहीं कर सकता। लेकिन जब कोई पुरस्कार लता मंगेशकर के नाम पर हो तो इसे स्वीकार करना मेरे लिए एक दायित्व बन जाता है।’’
मोदी ने कहा कि जब उनसे इस पुरस्कार के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने अपने सहायकों से कहा कि वे उनकी उपस्थिति की पुष्टि करें।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने अपने कर्मचारियों को सूचित किया कि मैं बाद में अन्य चीजों की योजना बनाऊंगा। मैं इस तरह के आयोजन के लिए मना नहीं कर सका। मैं यह पुरस्कार सभी भारतीयों को समर्पित करता हूं।’’
उन्होंने कहा कि लता दीदी हमेशा कहा करती थीं कि व्यक्ति अपने कर्मों से महान बनता है, न कि उम्र से। मोदी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम सभी उनके विचारों से सीख सकते हैं।’’
प्रख्यात संगीतकार एवं लता मंगेशकर के छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह जानकारी उनके गायक बेटे आदिनाथ मंगेशकर ने समारोह में दी।
मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में हृदयनाथ मंगेशकर के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
पुरस्कार प्रदान करने वाले ‘मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान चेरिटेबल ट्रस्ट’ के मुताबिक, लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार हर साल ऐसे व्यक्ति को दिया जाएगा, जिसने राष्ट्र, उसके लोगों और समाज के लिए ”अग्रणी, प्रभावशाली और अनुकरणीय” योगदान दिया है।
भाषा अमित पारुल
पारुल
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