एमएसआरटीसी संबंधी आदेश: अदालत ने कहा- महामारी के प्रभावों के बीच मनुष्यों ने सामान्य तरीके से काम नहीं किया होगा |

एमएसआरटीसी संबंधी आदेश: अदालत ने कहा- महामारी के प्रभावों के बीच मनुष्यों ने सामान्य तरीके से काम नहीं किया होगा

एमएसआरटीसी संबंधी आदेश: अदालत ने कहा- महामारी के प्रभावों के बीच मनुष्यों ने सामान्य तरीके से काम नहीं किया होगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:50 PM IST, Published Date : April 8, 2022/6:56 pm IST

मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि कोविड-19 महामारी के नाजुक समय के हानिकारक प्रभाव पड़े हैं, जिसके कारण मनुष्यों ने उस तरह से काम नहीं किया होगा जैसा कि वे स्थिति सामान्य होने पर करते हैं। अदालत ने इसके साथ ही महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों को 22 अप्रैल तक ड्यूटी फिर से शुरू करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि यदि कर्मचारी 22 अप्रैल को या उससे पहले ड्यूटी पर आते हैं तो एमएसआरटीसी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा और शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को भी वापस लेगा।

एमएसआरटीसी के हजारों कर्मचारी नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं और मांग कर रहे हैं कि उनके साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान माना जाए तथा परिवहन निगम का राज्य सरकार में विलय किया जाए।

अदालत ने बृहस्पतिवार को आदेश पारित किया था, जिसकी एक विस्तृत प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई।

पीठ ने एमएसआरटीसी द्वारा दायर एक याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें अदालत के आदेशों के बावजूद ड्यूटी पर वापस नहीं आने पर हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया गया था।

इसने अपने आदेश में कहा कि यह पता लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है कि गलती किसकी है और राज्य परिवहन बस सेवाओं की अनुपस्थिति के कारण कर्मचारियों तथा जनता की पीड़ा के बीच संतुलन बनाने संबंधी स्थिति की आवश्यकता है।

अदालत ने कहा, ‘‘अन्य हानिकारक प्रभावों के अलावा जो अभूतपूर्व महामारी हमारे देशवासियों के जीवन में लेकर आई, निश्चित रूप से सामने आए संकट का प्रभाव महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) और उसके कर्मचारियों के कामकाज पर भी पड़ा।’

आदेश में कहा गया, ‘हमें यह पता लगाने के लिए गहराई में जाने की जरूरत नहीं है कि दोनों (एमएसआरटीसी और उसके कर्मचारियों) में से किसकी गलती है। यह उल्लेख करना पर्याप्त है, महामारी के दौरान मनुष्यों ने उस तरीके से कार्य नहीं किया होगा जैसा कि वे सामान्य परिस्थिति में करते।”

पीठ ने कहा कि जिन कमजोरियों से मनुष्य पीड़ित हैं, उन्होंने मतभेदों और विवादों को जन्म दिया तथा ऐसी स्थिति पैदा हो गई जो नियंत्रण से बाहर हो गई।

इसने कहा कि वर्तमान मामले में अदालत को कर्मचारियों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए एक संतुलन बनाने संबंधी दृष्टिकोण का प्रयास करने की आवश्यकता है और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि आम आदमी के भले के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रदान करने की गतिविधि जल्द से जल्द फिर शुरू हो।

अदालत के आदेश में कहा गया है कि हड़ताली कर्मचारी 22 अप्रैल को या उससे पहले काम पर लौटें और निगम उन्हें ड्यूटी में शामिल होने की अनुमति देगा तथा उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करेगा। इसने यह भी कहा कि ‘अगर ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई पहले ही शुरू हो चुकी है तो उसे वापस ले लिया जाएगा।’

पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कोविड-19 के कारण किसी कर्मचारी की मृत्यु के मामले में मुआवजे के लिए किए गए आवेदनों पर शीघ्र निर्णय करे।

यह उल्लेख करते हुए कि अदालत हड़ताली कर्मचारियों से निर्देशों का पालन करने की अपेक्षा करती है, उच्च न्यायालय ने कहा कि इन निर्देशों का पालन करने में कोई भी विफलता कर्मचारियों के खिलाफ एमएसआरटीसी को कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए विवश करेगी।

महाराष्ट्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत से कहा था कि उसने तीन सदस्यीय समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।

राज्य सरकार ने कहा था कि एमएसआरटीसी के राज्य सरकार में विलय और एमएसआरटीसी कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह माने जाने की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया है, हालाँकि सरकार एमएसआरटीसी को चार साल की अवधि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

भाषा नेत्रपाल उमा

उमा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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