औरंगाबाद/मुंबई, 13 मई (भाषा) शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब के मकबरे के दौरे का उद्देश्य राज्य में माहौल खराब करना था और 17वीं सदी के मुगल बादशाह को मानने वालों का वही अंजाम होगा जो औरंगजेब का हुआ था। यहां एक रैली को संबोधित करने से पहले ओवैसी बृहस्पतिवार को जिले में स्थित औरंगजेब के मकबरे पर गए थे।
शिवसेना सांसद और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज से युद्ध किया और उनके निधन के बाद 25 साल तक मराठाओं से लड़ा। राउत ने संवाददाताओं से कहा, “वह एक आक्रांता था जिसने महाराष्ट्र पर आक्रमण किया और मंदिर तोड़े।” उन्होंने कहा कि औरंगजेब की मकबरे पर नमाज पढ़कर ओवैसी बंधु महाराष्ट्र को चुनौती दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, “ओवैसी बंधु महाराष्ट्र के माहौल को खराब करने के उद्देश्य से राजनीति कर रहे हैं। हमने इस चुनौती को स्वीकार किया है। हमने औरंगजेब की इसी मिट्टी में दफन किया था। उसे (औरंगजेब) मानने वाले अगर राजनीति करना चाहते हैं तो उनका भी महाराष्ट्र में यही हश्र होगा।”
राउत ने कहा, “आप संभाजीनगर (औरंगाबाद) आते रहिये और औरंगजेब को श्रद्धांजलि देते रहिये, आप हमें और महाराष्ट्र को चिढ़ाते रहिये। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि मराठाओं ने महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र खोदी थी। आप (औरंगजेब) अब उसके मकबरे पर नमाज पढ़ रहे हैं। समय आयेगा जब आप भी उसी कब्र में होंगे।”
शिवसेना के पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे और पार्टी की औरंगाबाद जिला इकाई के प्रमुख एवं विधान परिषद के सदस्य अंबादास दानवे ने मकबरे पर जाने के ओवैसी के कदम की कड़ी ओलाचना की।
हालांकि एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने ओवैसी का बचाव करते हुए कहा कि इसका ‘‘कोई और अर्थ’’ निकालने की जरूरत नहीं है।
खैरे ने कहा, ‘‘अकबरुद्दीन ओवैसी के औरंगजेब के मकबरे पर जाने का मकसद समझ नहीं आता। हमें उनका एक पुराना बयान याद है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी औरंगजेब के मकबरे पर नहीं जाता है। अगर वह समाज में समस्या उत्पन्न करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, तो हम इसे बर्दाशत नहीं करेंगे।’’
दानवे ने कहा, ‘‘ ओवैसी का औरंगजेब के मकबरे पर जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। निजाम, रजाकारों (हैदराबाद के निज़ाम द्वारा 1947-48 के दौरान रियासत के भारत के साथ विलय का विरोध करने के लिए तैनात अर्धसैनिक स्वयंसेवी बल) और पहले के इस्लामी राजवंशों की सोच एक जैसी ही है। उनकी विचारधारा के तहत ही ओवैसी मकबरे पर गए लेकिन जो मुसलमान देश के कल्याण के बारे में सोचते हैं उन्हें एआईएमआईएम और ओवैसी से दूर रहना चाहिए।’’
ओवैसी के इस कदम का बचाव करते हुए जलील ने कहा, ‘‘ खुल्दाबाद में कई मकबरे हैं, जिनका एक अच्छा-खासा इतिहास भी है। जो कोई भी खुल्दाबाद आता है औरंगजेब के मकबरे पर जाता है। इसका कोई और अर्थ निकालने की जरूरत नहीं है।’’
भारतीय जनता पार्टी के विधायक नितेश राणे ने संवाददाताओं से कहा, “अकबरुद्दीन ओवैसी को पता है कि महाराष्ट्र में एक कमजोर सरकार है और उन्हें (मकबरे का दौरा करने के बाद भी) कोई छू भी नहीं सकता। इस सरकार के हिंदुत्व की यह सच्चाई है।”
बाद में राणे ने ट्वीट किया, “मैं पुलिस से 10 मिनट के लिए हटने की अपील करता हूं। और इसके बाद अगर उन्हें (ओवैसी) औरंगजेब के पास नहीं भेज दिया तो हम शिवाजी महाराज के सच्चे सिपाही नहीं।”
ओवैसी पर कार्रवाई की बात करने पर महाराष्ट्र कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने भाजपा से पूछा, “भाजपा नेताओं को यह बताना चाहिए कि भारतीय दंड संहिता की किस धारा के तहत किसी व्यक्ति के मकबरे का दौरा करने पर उस पर मामला दर्ज किया जा सकता है।”
सावंत ने कहा कि जब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान में जिन्ना के मकबरे पर गए थे तब उनके विरुद्ध कौन सी कार्रवाई की गई थी। उन्होंने सवाल उठाया, “नीतीश कुमार जब जिन्ना के मकबरे पर गए थे तब उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई?”
उन्होंने कहा, “शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मारने के बाद उसका मकबरा बनवाया। यह महाराष्ट्र की संस्कृति है।” सावंत ने कहा कि महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को भी भाजपा नेताओं द्वारा महिमामंडित किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा, “क्या हम उन्हें जेल में डाल दें? पूरा देश ओवैसी के चरमपंथ से परिचित है। कांग्रेस ओवैसी का उसी तरह विरोध करती है जैसे वह आरएसएस और भाजपा के विरोध में है। भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए ओवैसी का इस्तेमाल करती है।”
भाषा यश माधव
माधव
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