नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक याचिका पर जवाब देने के लिए शुक्रवार को केंद्र सरकार को एक और मौका दिया। मंत्रालय की ओर से जारी उक्त अधिसूचना में ताप ऊर्जा संयंत्रों को अनुमति दी गई थी कि वे उस कोयले का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें राख की मात्रा पहले स्वीकृत मात्रा की तुलना में अधिक होती है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नौ महीने बाद भी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा खनन, बिजली और कोयला मंत्रालयों की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। पीठ ने कहा, “हम एक और अवसर देते हैं और निर्देश देते हैं कि एक महीने के भीतर जवाब दिया जाए और ऐसा नहीं करने पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा खनन, बिजली और कोयला मंत्रालयों के संबंधित संयुक्त सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा ताकि वे कारण बता सकें कि उनकी विफलता के लिए कानूनी तौर पर विपरीत कार्रवाई क्यों न की जाए।”
पीठ ने कहा कि जवाब ईमेल के जरिये भेजा जा सकता है। एनजीटी ने चारों मंत्रालयों के सचिवों से तय समय सीमा के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। अधिकरण, ‘से अर्थ’ नामक गैर सरकारी संगठन की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिका में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से 21 मई 2020 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। अधिसूचना में राख की अधिक मात्रा वाले कोयले के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई थी।
भाषा यश माधव
माधव
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