जयपुर, 18 जनवरी (भाषा) राजस्थान के खनन व पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा ने सोमवार को कहा कि खनिज खनन की ‘न्यूनतम अपव्यय-अधिकतम दोहन’ की तकनीक विकसित करनी होगी ताकि खनिज संपदा के अपशिष्ट के रुप में अनावश्यक अपव्यय को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि खनिज खोज से लेकर खनन कार्य की समाप्ति तक की सभी गतिविधियों को समग्र परिपेक्ष्य में देखना होगा।
शर्मा सोमवार को जयपुर में राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास (एनएमईटी) की पश्चिमी जोन की कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में राजस्थान और गुजरात के खनन से जुड़े विशेषज्ञ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं में उद्योगों के प्रतिनिधियों की भी भागीदारी तय करनी चाहिए ताकि उनके अनुभवों को साझा किया जा सके।
शर्मा ने कहा कि खनन कार्य में लगी संस्थाओं व उद्योगों को क्षेत्र के प्रति सामाजिक सरोकारों को समझना होगा और खनन क्षेत्र के निवासियों खनन श्रमिकों के लिए शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी गतिविधियों व वहां के पर्यावरण संरक्षण, संरचनात्मक सुविधाओं के विकास आदि कार्यों के लिए आगे आना होगा।
एमईसीएल के अध्यक्ष रंजीत रथ ने कहा कि खनिज खोज का कार्य बेहद खर्चीला और जोखिम भरा होने के बावजूद देश में खनिज संपदा के खोज का काम तेजी से किया जा रहा है।
एक दिवसीय कार्यशाला में राजस्थान और गुजरात में खनिज खोज संभावनाओं पर विचार किया गया।
भाषा कुंज पृथ्वी अर्पणा मनोहर
मनोहर
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