भारत ने महामारी के बीच जलवायु मुद्दों को आर्थिक पुनरूद्धार से जोड़ने के प्रयासों की निंदा की | India condemns efforts to link climate issues to economic revival amid epidemic

भारत ने महामारी के बीच जलवायु मुद्दों को आर्थिक पुनरूद्धार से जोड़ने के प्रयासों की निंदा की

भारत ने महामारी के बीच जलवायु मुद्दों को आर्थिक पुनरूद्धार से जोड़ने के प्रयासों की निंदा की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:48 PM IST, Published Date : April 12, 2021/2:38 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) भारत ने आगामी जी-20 वार्ता में कोरोना वायरस महामारी के बीच आर्थिक पुनरूद्धार को जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से जोड़ने के प्रयासों की निंदा की है। उसने कहा कि इस तरह की चीजें विकासशील देशों पर विकास मामलों में लागत बढ़ाने वाली साबित होंगे।

अमेरिकी प्रशासन महामारी से पुनरूद्धार की प्रक्रिया के हिस्से के तहत जलवायु एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का मानना है कि जहां तक गरीब और विकासशील देशों का सवाल है, अब तक के सबसे बुरे आर्थिक प्रभाव के बीच विकास के लिये व्यापार, निवेश, वित्त पोषण पर ‘हरित शर्तें’ लगाना, समस्या को बदतर बनाएगा।’’

वित्त मंत्रालय में प्रधान आर्थिक सलाहकर संजीव सान्याल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन गंभीर मुद्दा है लेकिन इसे आर्थिक पुनरूद्धार के तात्कालिक लक्ष्य को लेकर भ्रमित नहीं होना चाहिए।

उन्होंने दिल्ली के शोध संस्थान विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) द्वारा शुक्रवार को आयोजित एक सेमिनार में उन्होंने कहा, ‘‘भारत निश्चित रूप से अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं का पालन कर रहा है तथा हम और अधिक करने के लिए तैयार हैं। लेकिन मैं इसे जी-20 मंच पर लाने से असहज हूं क्योंकि हमें वहां इसको लेकर सहमति नहीं दिखी।’’

वह ओईसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) डेवलपमेंट सेंटर के उप-निदेशक फेडरिको बोनागलिया की बातों का जवाब दे रहे थे। बोनागलिया ने कहा था कि विकासशील देशों को दी जाने वाली राहत को जलवायु नीतियों से जोड़ा जाना चाहिए।

बोनागलिया ने कहा, ‘‘जलवायु संकट ने कोविड-19 संकट को उभरने में योगदान दिया है। इन मुद्दों का समाधान एक साथ होना चाहिए।’’

इस दलील को ठुकराते हुए सान्याल ने कहा कि महामारी और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध की बात अभी तक सामने नहीं आयी है। ‘‘जलवायु परिवर्तन की समस्या रही हो या नहीं, समय-समय पर महामारी जरूर आती रही है।’’

विदेश मत्रालय में अतिरिक्त सचिव (आर्थिक संबंध) पी हरीश ने पेरिस रूपरेखा से चीजों को अलग लेकर जाने और उसे जी-20 में शामिल करने के प्रयासों की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र जी-20 सदस्य देश है जिसने पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है और स्वयं से राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबद्धताएं निर्धारित की हैं।

जी-20 देशों के प्रमुखों की बैठक 30-31 अक्टूबर को रोम (इटली) में होगी।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

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