‘‘महामारी के बाद बच्चों के सुरक्षित तरीके से स्कूल आने के लिए हवा निकासी के बारे में सोचना जरूरी’’ | "It is important for children to think about air evacuation to come to school safely after the epidemic"

‘‘महामारी के बाद बच्चों के सुरक्षित तरीके से स्कूल आने के लिए हवा निकासी के बारे में सोचना जरूरी’’

‘‘महामारी के बाद बच्चों के सुरक्षित तरीके से स्कूल आने के लिए हवा निकासी के बारे में सोचना जरूरी’’

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:40 PM IST, Published Date : July 6, 2021/6:59 am IST

कार्लटन यूनिवर्सिटी में सिस्टम्स एंड कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर गैबरियल वैनर और कार्लटन यूनिवर्सिटी में सिस्टम्स एंड कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पोस्ट-डॉक्टरल फैलो हुदा खलील

ओटावा, छह जुलाई (द कन्वरसेशन) वैश्विक महामारी कोविड-19 ने अपना बुरा असर हर किसी पर छोड़ा है और अब हर व्यक्ति चाहता है कि हालात जल्द से जल्द सामान्य हो जाए। अगर जनजीवन को फिर से पटरी पर लाने की सुनियोजित योजना नहीं होगी तो कोविड-19 की और लहरों का सामना करना पड़ेगा। इसका अर्थ है कि लोगों को फिर से घरों के भीतर कैद होना पड़ेगा, अर्थव्यवस्था को पुन: नुकसान पहुंचेगा और मानसिक तनाव के हालात से जूझना पड़ेगा।

वायरस के बेहद संक्रामक नए स्वरूपों के सामने आने से इस बारे में चिंता और भी बढ़ गई है। हाल की रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में सामने आए डेल्टा और कुप्पा स्वरूप संक्रमित व्यक्ति के पास से गुजरने भर से कुछ सैकंड के भीतर किसी व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है। वर्तमान परिस्थितियों में ऐसी गतिविधियां, जो बंद परिसरों में होती हैं, सुरक्षित तरीके से उनकी सुगम बहाली की योजना बनाना चुनौती पूर्ण होगा। मसलन बच्चों के स्कूलों में लौटने से पहले कक्षाओं में हवा के आवागमन, प्रवाह की समुचित व्यवस्था करनी होगी तथा सुरक्षा उपायों की पहले से जांच करनी होगी।

सामान्य जीवन की ओर सुरक्षित रास्ता

जनजीवन सुरक्षित तरीके से बहाल करने की दिशा में टीकाकरण जैसे कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। कोविड रोधी टीके प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता से कहीं अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं और बुजुर्ग लोगों का प्रभावी तरीके से बचाव करते हैं। अब तक ऐसी कोई गारंटी नहीं मिली है कि स्कूल जाना शुरू करने से पहले सभी बच्चों का पूर्ण टीकाकरण हो जाएगा। अभी तो पांच से 12 वर्ष के बच्चों पर टीके के प्रभाव संबंधी और आंकड़ों का इंतजार है, जो संभवत: स्कूल शुरू होने के बाद सामने आएंगे।

सुरक्षित स्कूल

सामाजिक दूरी, हवादारी की उचित व्यवस्था और ठीक तरह से पहने हुए मास्क संक्रमण के जोखिम को बहुत हद तक कम करते हैं। एन95 और एफएफपी जैसे रेस्पिरेटर एक परत वाले मास्क या सर्जिकल मास्क के मुकाबले अधिक बचाव करते हैं। हाल में एक अध्ययन में कहा गया है कि मरीज को मास्क पहनना चाहिए लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों अथवा अग्रिम पंक्ति के कर्मियों को रेस्पिरेटर का उपयोग करना चाहिए। यूरोपीय संघ के कुछ देशों और जर्मनी ने सार्वजनिक स्थलों पर रेस्पिरेटर पहनना अनिवार्य किया है।

वापसी के दौरान संक्रमण के जोखिम को कम से कम करने के लिए मजबूत योजना बनाने के तीन चरण हैं। पहला चरण है बंद परिसरों में संक्रमण के जोखिम के लिए किफायती तरीके खोजना। दूसरा चरण है जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों का पता लगाना। तीसरा है पहले दो चरणों के नतीजों के आधार पर यह अनुमान लगाना कि बंद परिसरों में संक्रमण के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है।

पहला चरण: सार्स-सीओवी-2 हवा से फैलता है, यह तथ्य पता लगने में विलंब हुआ। एक व्यक्ति की सांस के जरिए यह दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। हवा के जरिए फैलने वाले रोग से पीड़ित होने का जोखिम बंद परिसरों में अधिक रहता है। हाल के अध्ययनों में पता चला कि अदालत कक्ष जहां वायु निकासी की उचित व्यवस्था नहीं थी और कई इकाइयों वाले मकानों में संक्रमण का प्रकोप अधिक रहा। संक्रमण के अध्ययन के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) का इस्तेमाल किया गया। ऐसा स्थान जहां संक्रमित व्यक्ति हैं वहां पर सीओ2 की सांद्रता अधिक होने का मतलब यह हो सकता है कि लोग सांस लेते वक्त संक्रमित कणों को अधिक मात्रा में अपने भीतर ले रहे हैं। अध्ययन बताते हैं कि छह फुट की दूरी का नियम संक्रमण रोकने में सफल नहीं है, प्लास्टिक के अवरोधक भी हमेशा उपयोगी नहीं होते और संभवत: संक्रमण दर को कम करने का काम नहीं करते।

दूसरा चरण: हमने बंद परिसरों में सीओ2 के वितरण के मॉडल बनाए और इसमें सीओ2 सांद्रता को प्रभावित करने वाले कारकों पर भी ध्यान दिया। ये कारक हैं सीओ2 स्रोत (लोग), सीओ2 निकासी स्थल आदि। इस अध्ययन में हमने पाया कि मॉडल काफी हद तक वास्तविक हैं।

इस तरह अनेक मॉडल का इस्तेमाल बंद परिसरों में संक्रमण के जोखिम का आकलन करने के लिए किया गया और इनमें बताया गया कि किसी तरह विविध कारक संक्रमण के जोखिम को बढ़ाते हैं।

अत: बंद परिसरों में पूरी क्षमता के साथ पूर्ण गतिविधियां आरंभ करने से पहले परिसरों के भीतर स्वास्थ्य के लिए अच्छा वातावरण बनाने के लिए उपाय करना आवश्यक है। अध्ययन में पाया गया कि खिड़कियां खोलने जैसे साधारण से कदम भी वायु गुणवत्ता में सुधार लाकर बंद परिसरों में संक्रमण के जोखिम को कम करते हैं।

उचित हवादारी नहीं होने से सीओ2 सांद्रता बढ़ती है और यदि ऐसे स्थान पर संक्रमित व्यक्ति हैं तो संक्रमण का जोखिम भी बढ़ता है। ऐसे परिसर जहां हवा निकासी की व्यवस्था अच्छी नहीं है, उनकी तुलना हवा के आवागमन के लिए उचित व्यवस्था वाले परिसरों से करने पर साबित हुआ कि स्कूल और दफ्तर खोलने से पहले यह आश्यक है कि वहां पर हवा के आने-जाने का उचित बंदोबस्त किया गया हो।

तीसरा चरण: अध्ययन बताता है कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके किस तरह निर्णय लिया जा सकता है। स्कूल और दफ्तर खोलने से पहले अध्ययन में की गई सिफारिशों को ध्यान में रखना आवश्यक है। जो सुझाव दिए गए हैं उनमें उच्च गुणवत्ता के मास्क पहनना जिनकी चेहरे पर फिटिंग भी एकदम ठीक हो, इसके साथ ही साफ हवा और नियंत्रित तापमान सुरक्षित वापसी की गारंटी देते हैं।

द कन्वरसेशन मानसी शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)