‘महामारी को प्रवासी केरलवासियों को नये सिरे से कौशल प्रदान करने के बड़े अवसर के रूप में समझे केरल’ | 'Kerala understands epidemic as a big opportunity to provide fresh skills to overseas Keralites'

‘महामारी को प्रवासी केरलवासियों को नये सिरे से कौशल प्रदान करने के बड़े अवसर के रूप में समझे केरल’

‘महामारी को प्रवासी केरलवासियों को नये सिरे से कौशल प्रदान करने के बड़े अवसर के रूप में समझे केरल’

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : January 17, 2021/4:05 pm IST

तिरुवनंतपुरम, 17 जनवरी (भाषा) प्रवासन क्षेत्र के एक ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ का कहना है कि केरल को इस महामारी को प्रवासी केरलवासियों को नये सिरे से कौशल प्रदान करने के सुनहरे अवसर के रूप में लेना चाहिये। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है, जब महामारी की वजह से देश से बाहर गये केरल के लोग बड़ी संख्या में लौट रहे हैं।

राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सात जनवरी तक 8.7 लाख प्रवासी केरलवासी विदेश से लौट चुके हैं। इनमें से ज्यादातर पिछले साल मई के बाद से खाड़ी देशों से लौटे हैं। खाड़ी देशों में जाने वाले एक करोड़ से अधिक भारतीयों में एक चौथाई से अधिक केरल के लोग है और उनमें से साढे सात लाख के करीब राज्य में लौट चुके हैं। प्रवासी भारतीयों की यह वापसी 1950 के अंत में शुरू होने वाले खाड़ी उत्थान के बाद की सबसे बड़ी वापसी है।

प्रवासी केरलवासी मामलों को देखने वाली संस्था के मुताबिक कुल मिलाकर 40 के करीब केरलवासी विदेशों में रहते हैं जबकि 13.73 लाख देश के दूसरे हिस्सों में हैं। राज्य की कुल आबादी 3.48 करोड़ के करीब है।

देशपरिवर्तन पर विशेषज्ञ एस इरुदया राजन ने कहा कि राज्य को महामारी को अवसर के रूप में लेना चाहिये। राज्य इस मौके का लाभ उठाकर वापस लौटे लोगों को नये सिरे से कौशल प्रदान कर सकता है।

राजन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम सब के लिये अच्छी खबर है कि पलायन तेज हो रहा है। टीकाकरण के आगे बढ़ने के साथ ही जैसे जैसे महामारी कम होगी, यह तेज होगा। केरल सरकार को उन्हें कौशल प्रदान करने व उनका कौशल बेहतर बनाने के लिये नयी प्रवासन नीति के बारे में विचार करना चाहिये।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘हमें इस बात को लेकर अधिक चिंतित नहीं होना चाहिये कि कितने वापस आये हैं और कितने वापस जा रहे हैं और वापस जा चुके हैं। बजाय इसके हमें इस बात को लेकर चिंता करनी चाहिये कि उनकी किस प्रकार से मदद की जा सकती है। उन्हें किस प्रकार से अधिक कौशल उपलब्ध कराया जा सकता है ताकि वह बाद में बेहतर ढंग से प्रवास के लिये जा सकें। हम दूसरे देशों को बेहतर कुशल मानव भेजने वाले बन सकें।’’

भाषा सुमन महाबीर

महाबीर

 

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