नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) ब्रिटेन से लौटने के बाद सात दिनों के संस्थागत पृथक-वास में भेजे गए परिवार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि चूंकि उनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट नेगेटिव थी ऐसे में यह कार्रवाई ‘‘अवैध तरीके से बंधक बनाने’’ जैसी है। परिवार में दो नाबालिग बच्चे भी हैं।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने द्वारका के होटल विवांता में पृथक-वास में रखे गए परिवार की अर्जी पर नागर विमानन और विदेश मंत्रालय के अलावा दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी किया है।
परिवार की ओर से पेश हुए वकील गणेश चंद शर्मा ने अदालत को बताया कि ब्रिटेन से 20 फरवरी को लौटने के बाद परिवार के सभी सदस्यों का कोविड-19 जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद उन्हें ‘‘गैरकानूनी और अवैध तरीके से’’ संस्थागत पृथक-वास में भेजा गया।
शर्मा ने कहा कि दिल्ली हवाईअड्डे की वेबसाइट पर पोस्ट दिशा-निर्देशों के अनुसार ब्रिटेन से आने वाले सभी लोगों के लिए संस्थागत पृथकवास में रहना आवश्यक नहीं है और यह सिर्फ उनके लिए अनिवार्य है जिनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है, ऐसे में कार्रवाई अवैध थी।
अर्जी में कहा गया है कि ब्रिटेन से यात्रा शुरू करने से पहले परिवार के सभी सदस्यों की कोविड-19 जांच हुई थी और उन्हें यात्रा करने के लिए फिट घोषित किया गया था।
भाषा अर्पणा उमा
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