रासुका के तहत गिरफ्तार मणिपुर के कार्यकर्ता को आज शाम पांच बजे तक करें रिहा: न्यायालय | Manipur worker arrested under Rasuka released by 5 pm today: Court

रासुका के तहत गिरफ्तार मणिपुर के कार्यकर्ता को आज शाम पांच बजे तक करें रिहा: न्यायालय

रासुका के तहत गिरफ्तार मणिपुर के कार्यकर्ता को आज शाम पांच बजे तक करें रिहा: न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : July 19, 2021/7:57 am IST

नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 के उपचार को लेकर भाजपा नेताओं की आलोचना करने पर रासुका के तहत हिरासत में लिए गए मणिपुर के राजनीतिक कार्यकर्ता को सोमवार शाम पांच बजे तक रिहा करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि उनको हिरासत में रखने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह याचिका का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन जवाब दाखिल करेंगे। इसके बाद पीठ ने याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि मणिपुर जेल अधिकारियों को इस आदेश के बारे में तुरंत सूचित किया जाए ताकि सोमवार शाम पांच बजे तक कार्यकर्ता को रिहा किया जा सके।

इससे पहले, राजनीतिक कार्यकर्ता इरेंद्रो लिचोमबाम के पिता एल रघुमणि सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा था कि निवारक निरोध खंड का उपयोग ऐसे मामले में किया गया है, जहां साधारण दंड प्रावधानों की भी आवश्यकता नहीं है। कार्यकर्ता ने केवल कोविड-19 के इलाज के लिए गोबर तथा गोमूत्र के इस्तेमाल की वकालत करने वाले भाजपा नेताओं की आलोचना की है।

याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत राजनीतिक कार्यकर्ता को हिरासत में रखने को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ऐसा केवल कोविड-19 के इलाज के रूप में गोबर तथा गोमूत्र के इस्तेमाल की वकालत करने वाले भाजपा नेताओं की आलोचना करने के कारण ‘‘उनको सजा देने के लिए’’ किया गया।

कार्यकर्ता के पिता की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि उनके बेटे ने 13 मई को ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में कोविड-19 के इलाज के लिए गोबर तथा गोमूत्र के इस्तेमाल की आलोचना की थी।

याचिका में कहा गया, ‘‘ मणिपुर भाजपा के प्रमुख एस टिकेंद्र सिंह के निधन के बाद भाजपा नेताओं के कोविड-19 से निपटने के लिए गोबर तथा गोमूत्र के इस्तेमाल करने जैसे अवैज्ञानिक तथ्यों तथा उनके गलत जानकारियां फैलाने की आलोचना करने के संदर्भ में वह बयान दिया गया था।’’

याचिका में कहा गया कि 13 मई को ‘पोस्ट’ करने के बाद उसे खुद ही हटा भी दिया गया था। वकील शादान फरासत ने कहा कि इस आलोचना के लिए इरेंद्रो ने अपने खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक मामलों के अनुसार हिरासत में कुछ दिन बिताए और उसके बाद जमानत मिलने के बाद भी वह हिरासत में हैं।

याचिका में कहा गया है कि इरेंद्रो को जमानत दे दी गई थी, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट के रासुका के तहत उन्हें हिरासत में रखने का आदेश देने के कारण रिहा नहीं किया गया।

भाषा निहारिका अनूप

अनूप

 

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