मुम्बई, 20 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र एवं केंद्र सरकार से उन जनहित याचिका पर जवाब मांगा जिसमें कोविड-19 को नियंत्रण में लाने में उपलब्ध संसाधनों के कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया है।
शहर के एक वकील अर्शिल शाह ने याचिका दायर की है और आरटी-पीसीआर जांच में देरी, पारिवारिक डॉक्टर की पर्ची के बगैर नगर निकाय के अस्पतालों में रैपिड एंटीजन जांच नहीं होने, कोविड-19 मरीजों के लिए बिस्तरों की अनुपलब्धता, रेमडेसिवर एवं ऑक्सीजन आदि की कमी का हवाला दिया है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि आम नागरिकों के लिए बिस्तरों, दवाइयों की कमी होने के बावजूद प्रभावशाली व्यक्तियों एवं नेताओं से संपर्क वालों, फिल्मी स्टारों आदि को अस्पतालों में बेड, समय से उपचार आदि जो भी जरूरी होता है, उन्हें मिल जाता है।
शाह ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ से कहा कि सरकार दावा करती है कि (चिकित्सा) ऑक्सीजन नहीं है जबकि एनजीओ और मंदिर उसे बांट रहे हैं, कैसे इन संगठनों को ये चीजें मिल रही हैं।
पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को जनहित याचिका में उठाये गये मुद्दों पर बृहस्पतिवार तक ‘निर्देश प्राप्त कर तैयार होकर आने’’ को कहा।
भाषा राजकुमार अनूप
अनूप
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