डालमिया-ओसीएल मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक उत्पादन के लिये ओड़िशा में लगा रही रिफ्रैक्टरी लाइन | Refracrine line in Odisha for Dalmia-OCL Magnesia carbon brick production

डालमिया-ओसीएल मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक उत्पादन के लिये ओड़िशा में लगा रही रिफ्रैक्टरी लाइन

डालमिया-ओसीएल मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक उत्पादन के लिये ओड़िशा में लगा रही रिफ्रैक्टरी लाइन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : September 21, 2020/2:35 pm IST

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) डालमिया भारत समूह की कंपनी डालमिया-ओसीएल ने मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक के उत्पादन के लिये सोमवार को ओड़िशा के राजगंगपुर में 1.08 लाख टन क्षमता का रिफ्रैक्टरी संयंत्र लगाने की घोषणा की।

मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक का उपयोग मुख्य रूप से इस्पात कंपनियां करती हैं। रिफ्रैक्टरी उत्पाद ऐसे उत्पादों को कहा जाता है कि जो कि धमन भट्टियों में सुरक्षात्मक परत का काम करते हैं।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि इसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण के तहत 36,000 टन क्षमता का निर्माण कार्य पूरा हो गया है जबकि 36,000-36,000 क्षमता का निर्माण कार्य दो चरणों में दो साल में पूरा किया जाएगा।

बयान के अनुसार, ‘‘डालमिया-ओसीएल ओड़िशा के राजगंगपुर में मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक के लिये 1,08,000 टन क्षमता का संयत्र लगा रही है। 36,000 टन क्षमता का पहला चरण पूरा हो गया है जबकि 36,000-36,000 टन क्षमता दो चरणों में अगले दो साल में जोड़े जाएंगे।’’

कंपनी के अनुसार इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने सोमवार को पहले चरण की उत्पादन लाइन का उद्घाटन किया है। यह घरेलू इस्पात विनिर्माताओं की मांग को पूरा करेगा।

बयान में कहा गया है कि पूर्ण रूप से चालू होने के बाद यह देश का मैग्नेशिया कार्बन ब्रिक उत्पादन का सबसे बड़ा संयंत्र होगा। इससे आयात पर निर्भरता में 50 प्रतिशत तक की कमी आएगी।

इसके अलावा कंपनी की इसे यूरोप और अन्य प्रमुख इस्पात बाजारों में निर्यात की भी योजना है।

कुलस्ते के हवाले से बयान में कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सभी क्षेत्रों के उद्योगों को अपनी विनिर्माण क्षमताओं को और मजबूत करना होगा, ताकि हम आयात पर अपनी निर्भरता को कम कर सकें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में भारतीय इस्पात उद्योग की क्षमता 14.2 करोड़ टन है, जिसके लिए लगभग 12 लाख टन रिफ्रैक्ट्री की आवश्यकता है। इसमें से लगभग 30 प्रतिशत रिफ्रैक्ट्री का आयात किया जाता है। इसलिए आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत में रिफ्रैक्ट्री उत्पादन को बढ़ाना बेहद जरूरी है।’’

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

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