सेबी ने बड़े आईपीओ के लिये इक्विटी हिस्सेदारी नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया | SEBI proposes relaxation of equity stake rules for large IPOs

सेबी ने बड़े आईपीओ के लिये इक्विटी हिस्सेदारी नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया

सेबी ने बड़े आईपीओ के लिये इक्विटी हिस्सेदारी नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : November 20, 2020/1:56 pm IST

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को आरंभिक शेयर बिक्री में न्यूनतम पेशकश आकार में कमी करने का प्रस्ताव किया। इसके तहत जिन कंपनियों की निर्गम बाद पूंजी 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें आईपीओ में कम-से-कम 5 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश करने की आवश्यकता होगी।

फिलहाल, जिन कंपनियों की निर्गम बाद पूंजी 4,000 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के तहत कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश की जरूरत होती है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार प्रस्ताव को देखते हुए ऐसी स्थिति हो सकती है, जहां बड़े निर्गम लाने वाले सूचीबद्धता के समय न्यूनतम 10 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता का अनुपालन नहीं कर पाये।

इस स्थिति में निर्गम लाने वाली संबंधित कंपनी 10 प्रतिशत न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) का अनुपालन 18 महीने में कर सकती हैं। वहीं 25 प्रतिशत सूचीबद्धता की तारीख से तीन साल में हासिल किया जा सकता है।

नियामक ने वैसी कंपनियों को 25 प्रतिशत एमपीएस के अनुपालन के लिये अतिरिक्त समय देने का सुझाव दिया है जिनका निर्गम जारी होने के बाद बाजार पूंजीकरण एक लाख करोड़ रुपये और उससे अधिक हो।

सेबी ने परिचर्चा पत्र में कहा कि इस प्रकार के निर्गमकर्ताओं को न्यूनतम 10 प्रतिशत का लक्ष्य सूचीबद्धता की तारीख से दो साल में जबकि 25 प्रतिशत पांच साल में पूरा करना होगा।

फिलहाल कंपनियों को 25 प्रतिशत एमपीएस का लक्ष्य सूचीबद्धता के तीन साल में हासिल करना होता है।

सेबी ने कहा कि आईपीओ के लिये बाजार समेत प्रतिभूति बाजार गतिशील है और उसे उभरती बाजार स्थिति के अनुरूप बनाये रखने की जरूरत है।

नियामक ने कहा, ‘‘ जिन कंपनियों की निर्गम बाद पूंजी 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है, उनके लिये न्यूनतम पेशकश के आकार को कम करने का प्रस्ताव है। इसके तहत न्यूनतम पेशकश 5 प्रतिशत करने की आवश्यकता होगी।’’

सेबी ने लोगों से इन प्रस्तावों पर सात दिसंबर तक अपनी राय देने को कहा है।

भाषा रमण मनोहर

मनोहर

 

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