पानी को बचाना, वनस्पतियों की विरासत को संजोना है: मोदी | Saving water is preserving the heritage of vegetation: Modi

पानी को बचाना, वनस्पतियों की विरासत को संजोना है: मोदी

पानी को बचाना, वनस्पतियों की विरासत को संजोना है: मोदी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : June 27, 2021/9:04 am IST

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जल संरक्षण को देश सेवा का एक रूप बताया और देशवासियों से पानी बचाने की अपील की। उन्होंने इसके साथ ही वनस्पतियों को भारत की सदियों पुरानी विरासत बताते हुए इन्हें संजोने का भी आग्रह किया।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के ताजा संस्करण में मोदी ने कहा कि देश में अब मानसून का मौसम आ गया है और बादल जब बरसते हैं तो वह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बरसते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘बारिश का पानी जमीन में जाकर इकट्ठा भी होता है और जमीन के जलस्तर को भी सुधारता है। इसलिए मैं जल संरक्षण को देश सेवा का ही एक रूप मानता हूं।’’

जल संरक्षण के क्षेत्र में देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे लोगों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इन सभी से प्रेरणा लेते हुए हम अपने आस-पास जिस भी तरह से पानी बचा सकते हैं, हमें बचाना चाहिए। मानसून के इस महत्वपूर्ण समय को हमें गंवाना नहीं है।’’

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के शिक्षक सच्चिदानंद भारती द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मेहनत से पौड़ी गढ़वाल के उफरैंखाल क्षेत्र में पानी का बड़ा संकट समाप्त हो गया है जबकि पहले वहां के लोग पानी के लिए तरसते थे।

पहाड़ों में जल संरक्षण के पारंपरिक तरीके ‘‘चालखाल’’ का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भारती ने उसमें कुछ नए तौर-तरीकों को भी जोड़ दिया और लगातार छोटे-बड़े तालाब बनवाए।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे न सिर्फ उफरैंखाल की पहाड़ी हरी-भरी हुई, बल्कि लोगों की पेयजल की दिक्कत भी दूर हो गई। आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि भारती ऐसी 30 हजार से अधिक जल-तलैया बनवा चुके हैं। उनका ये भागीरथ कार्य आज भी जारी है और अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।’’

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अंधाव गांव में जल संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान ‘‘खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में’’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे बारिश का पानी खेत में इकट्ठा होने लगा और जमीन में जाने लगा।

उन्होंने गांववासियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘अब ये सब लोग खेतों की मेड़ पर पेड़ लगाने की भी योजना बना रहे हैं, यानी अब किसानों को पानी, पेड़ और पैसा, तीनों मिलेगा। अपने अच्छे कार्यों से, पहचान तो उनके गांव की दूर-दूर तक वैसे भी हो रही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पृथ्वी पर ऐसी कोई वनस्पति ही नहीं है जिसमें कोई न कोई औषधीय गुण न हो और हमारे आस-पास ऐसे ही ऐसे पेड़ पौधे होते हैं जिनमें अद्भुत गुण होते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, यह तो हमारी सदियों पुरानी विरासत है, जिसे हमें ही संजोना है।’’

इसी दिशा में मध्य प्रदेश के सतना के रामलोटन कुशवाहा की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में एक देशी संग्रहालय बनाया है और उसमें सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘वाकई, यह एक बहुत अच्छा प्रयोग है जिसे देश के अलग–अलग क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है। मैं चाहूंगा आपमें से जो लोग इस तरह का प्रयास कर सकते हैं, वो ज़रूर करें। इससे आपकी आय के नए साधन भी खुल सकते हैं। एक लाभ ये भी होगा कि स्थानीय वनस्पतियों के माध्यम से आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी।’’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर मनाए जाने वाले अमृत-महोत्सव का उल्लेख किया और कहा कि आजादी के बाद के इस समय में ‘‘भारत प्रथम’’ सभी के जीवन का मंत्र होना चाहिए और यही हर फैसले व निर्णय का आधार भी होना चाहिए।

उन्होंने देशवासियों से अमृत-महोत्सव से संबंधित सभी कार्यक्रमों से जुड़ने का अनुरोध किया।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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