टीके के मामले में राष्ट्रवाद की गुंजाइश नहीं, विकसित देश प्रौद्योगिकी साझा करे: सीतारमण | There is no scope for nationalism in terms of vaccines, developed countries should share technology: Sitharaman

टीके के मामले में राष्ट्रवाद की गुंजाइश नहीं, विकसित देश प्रौद्योगिकी साझा करे: सीतारमण

टीके के मामले में राष्ट्रवाद की गुंजाइश नहीं, विकसित देश प्रौद्योगिकी साझा करे: सीतारमण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : May 3, 2021/3:10 pm IST

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) भारत ने सोमवार को कोविड महामारी के मौजूदा दौर के बीच टीके को लेकर राष्ट्रवाद पर वैश्विक समुदाय को आगाह किया। साथ ही विकसित देशो से टीके के उत्पादन के लिये जरूरी प्रौद्योगिकी साझा करने तथा इससे जुड़े महत्वपूर्ण उपकरणों एवं कच्चे माल की बेरोक-टोक आवाजाही की अनुमति देने को कहा।

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड महामारी के संदर्भ में बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े व्यापार संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स) पर गौर करने की जरूरत पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘देशों को टीका आधारित प्रौद्योगिकी साझा करने के लिये तैयार होना होगा। महामारी के संदर्भ में ट्रिप्स समझौते पर गौर करना होगा। टीकों को लेकर कोई राष्ट्रवाद नहीं हो सकता। देशों को इस मामले में लचीला रुख अपनाना चाहिये।’’

ट्रिप्स समझौता विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) सदस्य देशों के बीच एक कानूनी समझौता है। यह सदस्य देशों द्वारा बौद्धिक संपदा के विभिन्न रूपों के विनियमन के लिये मानक स्थापित करता है जो डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों पर लागू होता है। समझौता जनवरी 1995 में प्रभाव में आया।

वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर सबको मिलकर काम करने की जरूरत है।

वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड टीके की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिये महत्वपूर्ण कच्चे माल तक पहुंच महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘….देशों के लिये इस समय जरूरी है कि वे व्यापार को खोले और कच्चे माल, महत्वपूर्ण उपकरणों और एपीआई (दवा में उपयोग होने वाले प्रमुख रसायन) समेत जरूरी सामान की आवाजाही को सुगम बनाये। हमने पाया है कि टीके के उत्पादन के लिये जरूरी कच्चे माल की आवाजाही को लेकर कुछ बाधाएं हैं। हम यह चाहेंगे कि इस मुद्दे का यथाशीघ्र हल हो ताकि भारत उत्पादन कर सके और बढ़ा सके।’’

सीतारमण के अनुसार यह महत्वपूर्ण है कि कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो और उसकी बेरोक-टोक अवाजाही हो सके। उन्होंने कहा कि कोविड के उपचार के लिये दो और टीके आने वाले हैं। इसमें एक ‘नोजल स्प्रे’ (नाक में डाले जाने वाली दवा) के रूप में है।

उल्लेखनीय है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया समेत टीका बनाने वाली भारतीय कंपनियों को पिछले महीने उत्पादन में समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि यूरोप और अमेरिका ने महत्वूपर्ण कच्चे माल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच भारत में कोविड संकट से जुड़े मुद्दों पर बातचीत के बाद प्रतिबंध को हटाया गया।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हमने इस साल की शुरूआत में उदारता के साथ वैश्विक समुदाय की मदद के लिये हाथ बढ़ाया और हम यह देख सकते हैं कि उसी उदारता के साथ दुनिया हमारी मदद के लिये आगे आ रही है।’’

उन्होंने कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान एकजुटता दिखाने के लिये वैश्विक समुदाय को धन्यवाद दिया।

सीतारमण ने भारत बॉयोटेक समेत टीका बनाने वाली दो कंपनियों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां निश्चित रूप से सरकार के साथ मिलकर काम कर रही हैं और लाभ को अलग रख रही हैं।

वित्त मंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि सरकार ने महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियां बनाये रखने के लिये विभिन्न क्षेत्रों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी है।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, सरकार ने महामारी के दौरान उनकी मदद के लिये 3 लाख रुपये की कर्ज गारंटी के रूप में वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

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