वन्यजीव विशेषज्ञों ने कॉर्बेट, राजाजी बाघ अभयारण्य को सालभर खोले जाने के फैसले का विरोध किया | Wildlife experts oppose decision to open Corbett, Rajaji Tiger Reserve throughout the year

वन्यजीव विशेषज्ञों ने कॉर्बेट, राजाजी बाघ अभयारण्य को सालभर खोले जाने के फैसले का विरोध किया

वन्यजीव विशेषज्ञों ने कॉर्बेट, राजाजी बाघ अभयारण्य को सालभर खोले जाने के फैसले का विरोध किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : June 26, 2021/11:32 am IST

देहरादून, 26 जून (भाषा) उत्तराखंड के वन्यजीव विशेषज्ञों ने सरकार के पर्यटकों के लिये कॉर्बेट और राजाजी बाघ अभयारण्य को साल भर खोले जाने के फैसले का शनिवार को कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह पशु जगत पर अत्याचार के तुल्य है।

नैनीताल के पूर्व वन्यजीव वार्डन दिनेश पांडेय ने कहा, “हर साल जून से मध्य नवंबर तक करीब चार महीनों के लिये बाघ अभयारण्य को बंद रखने का नियम सभी पहलुओं पर विचार के बाद बनाया गया था। महज आय बढ़ाने के लिये उन्हें साल भर आगंतुकों के लिये खोलना पशुओं के साथ क्रूरता का कृत्य होगा। वन्य जीवों के हित में इस फैसले का हम कानूनी रूप से और अन्य सभी मंचों पर भी विरोध करेंगे।”

उन्होंने कहा कि भारत या विदेशों में भी वन्य जीव पर्यटन पूरे साल खुला नहीं रहता।

उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने हाल में घोषणा की थी कि कॉर्बेट और राजाजी बाघ अभयारण्य अब साल भर आगंतुकों के लिये खुले रहेंगे।

इन दोनों बाघ अभयारण्यों का एक बड़ा हिस्सा नैनीताल और हरिद्वार जिलों में स्थित है। यह दोनों अभयारण्य हर साल 30 जून से मध्य नवंबर तक आगंतुकों के लिये बंद रहते हैं।

मंत्री ने कहा कि दोनों बाघ अभयारण्य को साल भर खुला रखने का फैसला वन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद लिया गया और इसका मकसद आय बढ़ना था जो कि बीते डेढ़ सालों के दौरान कोविड महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई है।

वन्यजीव विशेषज्ञ और कार्यकर्ता हालांकि मानते हैं कि यह फैसला जानवरों के लिए ठीक नहीं है क्योंकि मानसून उनके लिये प्रजनन काल होता है और आगंतुकों की भीड़ उन्हें परेशान कर सकती है।

उन्होंने चेतावनी दी कि इससे जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति के मामले भी बढ़ सकते हैं।

वाइल्डलाइन प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रदेश प्रमुख राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं, “प्रदेश सरकार को अभयारण्यों को साल भर खोलने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि हाथियों समेत कई जंगली जानवरों के लिए मानसून प्रजनन का समय होता है और वे साथियों की तलाश में जंगल में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं।”

उन्होंने कहा, “इस मौसम के दौरान जानवरों और इंसानों दोनों की जंगल में आवाजाही से इंसान और पशुओं के बीच संघर्ष की स्थिति भी बढ़ सकती है।” उन्होंने कहा कि इससे पशुओं के व्यवहार में बदलाव आ सकता है और उन्हें ज्यादा आक्रामक बना सकता है।

भाषा

प्रशांत उमा

उमा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)