प्राचीन विरासत को सहेजने का प्रमुख माध्यम बनेगा जशपुर का पुरातत्व संग्रहालय-भूपेश बघेल | Archaeological Museum of Jashpur will become a major medium to save ancient heritage

प्राचीन विरासत को सहेजने का प्रमुख माध्यम बनेगा जशपुर का पुरातत्व संग्रहालय-भूपेश बघेल

प्राचीन विरासत को सहेजने का प्रमुख माध्यम बनेगा जशपुर का पुरातत्व संग्रहालय-भूपेश बघेल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : December 4, 2020/12:32 pm IST

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज जशपुर में पुरातात्विक जिला संग्रहालय का शुभारंभ किया। पुरातात्विक जिला संग्रहालय में जशपुर जिले की जनजातियों की परंपरा और जीवन शैली को शिल्प चित्रों, मूर्तियों, निवास स्थलों, मकानों के माडल के माध्यम से जीवंत रूप से प्रदर्शित किया गया है। जिससे यहां की स्थानीय जनजातियों तथा आदिवासी समाज की मान्यताओं, कला-संस्कृति, जीवनशैली के बारे में जानकारी प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री ने संग्रहालय के निरीक्षण के दौरान यहां प्रदर्शित कलाकृतियों का बारिकी से अवलोकन किया और संग्रहालय के दुर्लभ संग्रह की सराहना की।

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उन्होंने अधिकारियों से संग्रहालय के बारे में विस्तार से जानकारी ली। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वहां रखे गए पाषाण शंख ( स्टोन फ्लूट) को बजा कर देखा। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय जिले की पुरातात्विक विरासत को सहेजने का प्रमुख माध्यम बनेगा। संग्रहालय में रोपण अगरिया और सुखराम अगरिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मांदर भेंट किया। मुख्यमंत्री ने उनकी इस भेंट को स्वीकार किया और बजाया भी।
पुरातत्व संग्रहालय – जिला प्रशासन जशपुर द्वारा जिले में अपने आप में अनूठा और आकर्षक पुरातत्व संग्रहालय जिला खनिज न्याय निधि से 25 लाख 85 हजार की लागत से बनाया गया है। संग्रहालय का लाभ जशपुर जिले के आस-पास के विद्यार्थियों को मिलेगा।

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साथ ही क्षेत्रीय विशेषताओं को पहचान मिलेगी। यह संग्रहालय पुरातत्विक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने एवं संरक्षित रखने हेतु अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। संग्रहालय में जिले की 13 जनजातियों बिरहोर, पहाड़ी कोरवा जनजाति, उरांव, नगेशिया, कवंर, गोंड़, खैरवार, मुण्डा, खड़िया, भुईहर, अघरिया आदि जनजातियों द्वारा परम्परागत रूप से उपयोग में लाए जाने वाले लघु पाषाण उपकरणों, नवपाषाण उपकरणों, ऐतिहासिक उपकरणों, प्राचीन वस्तुओं, सन् 1835 से 1940 के सिक्कों, मृदभांड, कोरवा जनजाति के डेकी, आभूषण, तीन-धनुष, चेरी, तवा, डोटी, हरका, प्रागैतिहासिक काल के पुरातत्व अवशेष के शैलचित्रों को को संग्रहित करके संग्राहलय के तीन कमरों और गैलेरी में रखा गया है।

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इस अवसर पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लालजीत सिंह राठिया, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष मती उत्तरी गनपत जांगड़े, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, विधायक जशपुर विनय भगत, रायगढ विधायक प्रकाश नायक, लैलूंगा विधायक चक्रधर सिदार सहित अनेक जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में प्रबुद्व नागरिक उपस्थित थे।

 
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