Ayodhya Verdict LIVE UPDATE : सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, राम मंदिर के लिए बनाएं नियम: | Ayodhya Hearing : Verdict on the Ayodhya land dispute case is slated to be pronounced at 10:30 am by the Supreme Court.

Ayodhya Verdict LIVE UPDATE : सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, राम मंदिर के लिए बनाएं नियम:

Ayodhya Verdict LIVE UPDATE : सरकार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, राम मंदिर के लिए बनाएं नियम:

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : November 9, 2019/1:45 am IST

नई दिल्ली | अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट आज ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा, आज 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के पांच जाजों की खंडपीठ मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण,  न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर ऐतिहासिक फैसला देंगे। CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी।

बता दें कि अयोध्या मामले पर फैसले से पहले देश के लगभग सभी राज्यों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरी अयोध्या नगरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। फैसले को लेकर प्रशासन जहां मुस्तैद है। सभी प्रमुख मंदिरों के आसपास बड़े पैमाने पर सिक्‍योरिटी लगा दी गई है। जिन जगहों पर सुरक्षा बढ़ाई गई है उनमें राम जन्मभूमि कॉम्प्लेक्स, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन, मंदिर निर्माण कार्यशाला राम की पैड़ी, कारसेवक पुरम, सरयू घाट वगैरह शामिल हैं।

विवाद की शुरुआत

साल 1528 : मुगल बादशाह बाबर ने (विवादित जगह पर) मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदुओं का दावा है कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां पहले एक मंदिर था।

कब क्या हुआ?

साल 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट के. के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

साल 1950 : फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में राम लला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

साल 1961 : यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।

साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।

साल 1986: यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज के. एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।

6 दिसंबर 1992 : बीजेपी, वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2002 : हिंदू कार्यकर्ताओं को ले जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2010 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

साल 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।

1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

ऐतिहासिक फैसला 9 नवंबर

 

 

 

 
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