रायपुर-संबलपुर मार्ग पर स्थित 244.66 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला बारनवापारा अभ्यारण्य सन् 1976 में अस्तित्व में आया। इस अभ्यारण्य का नाम बारनवापारा गांव के नाम पर पड़ा है। यह अभ्यारण्य रायपर से 70 कि.मी. दूर है। महानदी की सहायक नदियां यहां के लिए जलस्रोत हैं। बालमदेही नदी एवं जोंक नदी अभ्यारण्य से होकर बहती है। इस अभ्यारण्य में 22 वनग्राम है जिसमें मुख्यतः आदिवासी लोग निवास करते है। इस अभ्यारण्य में शेर तेन्दूआ भालू गौर चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली शूकर लोमडी, धारदार लकड बग्घा आदि दिखते हैं। बारनवापारा में 150 से भी अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। इनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। इनमें से कुछ हैं जंगली मुर्गे, फेजेन्ट, बुलबुल, ड्रोंगो, कठफोड़वा आदि मुख्य हैं।
भ्रमण का समय: 01 नवम्बर से 30 जून
ठहरने की व्यवस्था:
वन विश्राम गृह,बारनवापारा, होटल्स पर्यावरण विभाग मोटेल
पर्यटक ग्राम बारनवापारा ,वन विश्राम गृह, देवपुर,निरिक्षण कुटीर देवपुर ,वन विश्राम गृह, पकरीद ,वन विश्राम गृह, नवागांव,निरिक्षण कुटीर, नवागांव
आरक्षण कहा करे – वन मंडल अधिकारी बलौदाबाजार,
अधीक्षक,बारनवापारा अभ्यारण,वनमंडल अधिकारी बलौदाबाजार छत्तीसगढ़
फोन:(का.) 07707-269078
वन विश्राम गृह रवान – 2 सूट
आरक्षण – ऑनलाइन आरक्षण हेतु www.leopardofbarnawapara.co.in वेबसाइट
से कर सकते हैं
वाहन सुविधा: पर्यटक अपने लिए जीप,कार रायपुर से किराये पर ले सकते हैं|
नजदीक रेलवे स्टेशन:
रायपुर
100 कि.मी
बिलासपुर 115 कि.मी
एयरपोर्ट: रायपुर(100 कि.मी)
दर्शनीय स्थान
1.तुरतुरिया: यह स्थान के सीमा पर स्थित है, यहां एक राम मंदिर है जहां से एक कुण्ड में झरना गिरता है जिससे तुरतुर की आवाज आती है। इसी आवाज के नाम पर इस स्थान का नामांकरण किया गया है। लोग यहां पूजा करने आते है।2.देवधारा- देवपुर से 2 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है। बांस एवं मिश्रित वन से घिरा यह स्थान बहोत ही मनोरम है। यहां पर्यटक पिकनीक मनाने आते है।3.शिवरीनारायण- बारनवापारा से 50 कि.मी. की दूरी पर यह स्थान स्थित है। यहां एक शिव मंदिर है। यह शिव मंदिर महानदी के किनारे पर स्थित है एवं इसी स्थान पर महानदी एवं जोक नदी का संगम है। माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु संगम में नहा कर इस मंदिर का दर्शन करते है। 4.सिरपुर- बारनवापारा से 40 कि.मी. की दूरी पर महानदी के तट पर यह स्थान स्थित है। यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा पाई गई है। यह स्थान छठे से दसवीं शताब्दी तक भगवान बुद्ध के श्रद्धालुओं का स्थान था। यहां बुद्ध विहार, स्वास्तिक विहार, गंधेश्वर महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर एवं पुरातात्विक संग्रहालय है जिसका आनंद पर्यटक उठाते है।5.छाता पहाड़- महराजी से 1 कि.मी. दूर स्थित है। इस स्थान पर एक बड़ा सा पत्थर है जहां संत श्री गुरूघासीदास जी को ज्ञान प्राप्त हुआ था। जो कोई भी पर्यटक / श्रद्धालु गिरौदपुरी आता है वह इस स्थान का दर्शन अवश्य करता है। 6.मातागढ- तुरतुरीया से 2 कि.मी. दूर यह स्थान है। पर्यटक को यहा पहुंचने के लिए पैदल पहाडी पर चढ़ना पड़ता है। पहाडी के उपर देवी माता का एक मंदिर है। पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है। 7.तेलईधारा- बारनवापारा से 10 कि.मी. दूर यह मनोरम स्थान है। यह स्थान बांस एवं साल के वन से घिरा हुआ है एवं बड ा ही रमणीक है। एक जलप्रपात यहां बहता है। पर्यटक यहां पिकनीक का आनंद ले सकते है। 8.कुरूपाठ- सोनाखान से 2 कि.मी. की दूरी पर यह स्थान स्थित है। यह एक पूजनीय स्थान है जहां लोग कुरूपाठ देव की पूजा करते है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए एक 1 कि.मी. पैदल चलना पडता है तथा यह स्थान पहाडी के उपर स्थित है। यहां से दर्शक घाटी एवं वनों का विहंगम दृश्य देख सकते है।9.देवपुर पहाडी- देवपुर से लगी इस पहाडी के उपर तक का रास्ता 6 कि.मी. लंबा है। पर्यटक यहां के घुमावदार सडक साल सागौन, एवं बांस के वन का आनंद ले सकते है। पहाडी के उपर से देवपुर ग्राम, घाटी एवं वन संपदा का आनंद उठा सकते है।10.सिद्धखोल- देवपुर से 12 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है। यह मिश्रित वनों से घिरा हुआ है। जलप्रपात के पास ही एक मंदिर है जहां लोग दर्शन करते है एवं पिकनीक मनाने के लिए पिथौरा, कसडोल एवं आसपास क्षेत्र से इस स्थान पर आते है।