मध्यप्रदेश छात्रसंघ चुनाव के लिए गाइड लाइन जारी, होर्डिंग-बैनर, पर्चें-पोस्टर, लाउड स्पीकर प्रतिबंधि | billboard-banner, parch-poster, loud speaker restricted for Madhya Pradesh student elections

मध्यप्रदेश छात्रसंघ चुनाव के लिए गाइड लाइन जारी, होर्डिंग-बैनर, पर्चें-पोस्टर, लाउड स्पीकर प्रतिबंधि

मध्यप्रदेश छात्रसंघ चुनाव के लिए गाइड लाइन जारी, होर्डिंग-बैनर, पर्चें-पोस्टर, लाउड स्पीकर प्रतिबंधि

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : October 22, 2017/6:59 am IST

छात्रसंघ चुनाव के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने इस बार कड़ी गाइड लाइन जारी की है। प्रचार के लिए होर्डिंग-बैनर की बात तो दूर छात्र पर्चे तक नहीं छपवा सकेंगे। इतना ही नहीं कम्प्यूटर से निकले प्रिंटआउट बांटना भी चुनाव की आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। छात्रसंघ चुनाव की इस गाइड लाइन को लेकर एनएसयूआई ने कोर्ट जाने का फैसला किया है तो… एबीवीपी सरकार को ज्ञापन देने जा रही है।

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छात्रसंघ चुनाव की मांग पूरी होने के बाद अब छात्र संगठन चुनाव की गाइड लाइन को लेकर सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। एनएसयूआई सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव की गाइड लाइन को चुनौती देने जा रही है। संगठन गाइड लाइन बदलने के साथ निजी काॅलेजों में भी चुनाव कराने की मांग करेगा। एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष विपिन वानखेड़े ने कहा नियम ऐसे-ऐसे है कि छात्र प्रचार के लिए किसी तरह की छपि हुई सामग्री या कम्प्यूटर से निकले प्रिंटआउट उपयोग नहीं कर सकेंगे। प्रचार के लिए हाथ से बने पोस्टर या पर्चे ही मान्य किए जाएंगे। चुनाव लड़ने वाले छात्र अधिकतम पांच हजार रुपए खर्च कर सकेंगे।

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छात्रों को चुनाव खर्चे का ब्यौरा भी देना होगा प्रचार के लिए लाउड स्पीकर या वाहन का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। दीवारों पर वाॅल पेंटिंग या पर्चे चिपकाने के लिए अनुमति लेना होगी। काॅलेजों से 500 की परिधि में न जुलूस निकाल सकेंगे और न ही सभा कर सकेंगे। मतदान के दौरान कैंपस में स्मार्ट वाॅच पहनने तक पर प्रतिबंध रहेगा। सोमवार को चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही इस गाइड लाइन पर अमल शुरू हो जाएगा। हालांकि एबीवीपी संगठन ज्ञापन देकर ऐसे नियमों में राहत देने की मांग करेगा। दरअसल सरकार का तर्क है कि इस कड़ी गाइड लाइन से छात्रसंघ चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हो सकेंगे, और सरकार की तैयारी है कि सोमवार को दफ्तर खुलते ही कड़े नियमों वाली ये आचार संहिता लागू भी कर दी जाए। लेकिन छात्र संगठनों को उम्मीद है कि सरकार को ज्ञापन और कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से उन्हें चुनाव में इस कड़ी गाइड लाइन से राहत मिल सकती है।

 
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