जल्दबाजी में नहीं होगा मंत्रिमंडल का विस्तार, दावेदारों में बढ़ी बेचैनी, प्रदेश कार्यकारिणी के नाम लगभग फाइनल | Cabinet expansion will not be in a hurry Increased uneasiness among claimants State executive's name almost final

जल्दबाजी में नहीं होगा मंत्रिमंडल का विस्तार, दावेदारों में बढ़ी बेचैनी, प्रदेश कार्यकारिणी के नाम लगभग फाइनल

जल्दबाजी में नहीं होगा मंत्रिमंडल का विस्तार, दावेदारों में बढ़ी बेचैनी, प्रदेश कार्यकारिणी के नाम लगभग फाइनल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:42 PM IST, Published Date : November 25, 2020/2:44 pm IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की सत्ता पर चौथी बार काबिज हुए शिवराज सिंह चौहान इसलिए सफल मुख्यमंत्री कहे जा सकते हैं, क्योंकि उन्हें संघ और अपने वरिष्ठों का भी फ्री हैंड मिला है। उपचुनाव में मिली सफलता से सरकार को स्थायित्व मिल जाने के बाद एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल परिवार बढ़ाने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। दरअसल वे जानते हैं कि उन्हें कब क्या करना है। संघ और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से उनको फ्री हैंड है, बावजूद इसके वे कोई रिस्क प्रदेश में नहीं लेना चाहते हैं। यही वजह है कि फिलहाल तो शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार होता नजर नहीं आ रहा । ऐसे में मंत्रिमंडल के दावेदारों में बैचेनी साफ़ नजर आ रही है।

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मध्यप्रदेश में उपचुनाव के परिणाम के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ़ कर दिया सरकार में अब वही सर्वोपरि हैं, लिहाजा अब मंत्रिमंडल विस्तार उनकी मर्जी निर्भर है। शिवराज सिंह बीजेपी के कुनबे के सीनियर नेताओं को एडजस्ट करना चाहते हैं, यही वजह है प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपनी प्रदेश कार्यकारिणी के नाम लगभग फाइनल कर लिए हैं और संभवत: देवउठनी एकादशी के बाद कभी भी इसकी घोषणा कर सकते हैं। यही वजह है अब बीजेपी के अंदर खाने में मंत्री पद को लेकर खलबली मची है।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश है कि जिन विधायकों और वरिष्ठों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाना है, उन्हें संगठन में स्थान देकर उन्हें संतुष्ट कर दिया जाए। उसके बाद स्थिति भांपकर इत्मीनान से सोचा जाएगा। क्योंकि मंत्रिमंडल विस्तार इतनी जल्दबाजी में तो कतई नहीं होगा। शिवराज का पिछला कार्यकाल इसका गवाह भी है। सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के गठन एवं राजनीतिक नियुक्तियों की जल्दबाजी में वे कभी नहीं रहे। इसे वे हर संभव टालने की कोशिश करते हैं। शिवराज सिंह जानते हैं कि मंत्रिमंडल में जितने लोगों को शामिल कर खुश किया जाएगा, उससे ज्यादा असंतुष्ट होंगे। यही सोच वे निगम-मंडलों सहित अन्य संस्थाओं में राजनीतिक नियुक्तियों के बारे में रखते हैं। इसीलिए पहले वे मंत्रिमंडल विस्तार एवं राजनीतिक नियुक्तयों को टालने की कोशिश करते हैं। ज्यादा दबाव बनने पर करना पड़ा तो कुछ पद खाली रखते हैं, ताकि असंतुष्टों को उम्मीद बंधी रहे कि उन्हें मौका मिल सकता है। इस बार भी शिवराज इसी मूड में हैं। इसको लेकर विपक्ष अब दावेदारों को लेकर चुटकी ले रहा है

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शिवराज मंत्रिमंडल में छह विधायकों को ही स्थान मिलना है। इनमें से दो पद तो गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को मिलना है। इन दोनों ही नेताओं ने छह माह में विधायक नहीं बन पाने की संवैधानिक बाध्यता के चलते मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अब शेष चार पदों के लिए कई दावेदार हैं। इन दावेदारों में राजेंद्र शुक्ला, गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, संजय पाठक, अजय बिश्नोई, केदार शुक्ला, महेंद्र हार्डिया, गिरीश गौतम, सुरेंद्र पटवा, रामेश्वर शर्मा, सुदर्शन गुप्ता, रमेश मेंदोला, अशोक रोहाणी, नंदनी मरावी, कुंवर सिंह टेकाम और सीतासरन शर्मा शामिल हैं।

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पहले कम संख्या बल के बाद पार्टी की सत्ता में वापसी कराने और फिर पार्टी को उपचुनाव में शानदार सफलता दिलाने के बाद सत्ता में शिवराज और संगठन में वीडी शर्मा शक्तिशाली बनकर उभरे हैं। यही वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें फ्री हैंड दे दिया है। अब उन्हें आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने में आसानी होगी, लेकिन फिलहाल तो बीजेपी अपने दल के विधायकों की संख्या के आधार पर पूरी तरह से बहुमत हासिल कर चुकी है। इससे सीएम शिवराज सिंह चौहान को बड़ी राहत मिली है, इससे अब सरकार को निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायकों के दबाव से राहत मिल गई है। इसके बाद भी मंत्रिमंडल में किसे लिया जाए और किसे बाहर रखा जाए इस पर चुनौती की स्थिति बनी हुई है। इसके चलते ही मंत्रिमंडल विस्तार टलने की पूरी उम्मीद है ।

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