बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी संसदीय सचिवों के पावर सीज कर लिए हैं। हालांकि ये आखिरी फैसला नहीं है। इस मामले में पूरा फैसला सुनाने के लिए हाईकोर्ट ने 23 अगस्त की तारीख तय की है। पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर और सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चैबे ने संसदीय सचिव के पद को चुनौती देते हुए याचिका लगाई है, जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि संसदीय सचिव की नियुक्ति जब राज्यपाल ने नहीं की तो उनका संवैधानिक दायरा नहीं बनता। अगर इनकी नियुक्ति मंत्री पद पर राज्यपाल ने नहीं की है, तो उन्हें काम न करने दिया जाए। ये रोक तब लागू रहेगी जब तक कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर अंतिम फैसला न हो जाए। इस आदेश के बाद संसदीय सचिवों के तमाम अधिकार खत्म हो गए हैं। यहां तक कि संसदीय सचिवों के स्वेच्छानुदान पर भी रोक लग गई है। प्रदेश में 11 संसदीय सचिव हैं, जिनके वेतन, भत्तों, गाड़ियों और दूसरी सुविधाओं के लाभ से वंचित रखने की मांग भी मोहम्मद अकबर ने की है।