कोसा उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य, रेशम प्रभाग की योजनाओं से एक लाख से अधिक हितग्राही हुए लाभान्वित | Chhattisgarh is the leading state in the area of Cosa production

कोसा उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य, रेशम प्रभाग की योजनाओं से एक लाख से अधिक हितग्राही हुए लाभान्वित

कोसा उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य, रेशम प्रभाग की योजनाओं से एक लाख से अधिक हितग्राही हुए लाभान्वित

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : October 16, 2020/3:25 pm IST

रायपुर: ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ कोसा उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में निरंतर बढ़ रहा है। मंत्री गुरु रुद्रकुमार ने कहा कि राज्य शासन की मंशानुरूप वन आधारित ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने हेतु कोसा रेशम योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामोद्योग विभाग के रेशम प्रभाग द्वारा संचालित योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचलों में स्थानीय ग्रामीण एवं विशेष तौर पर महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कच्चे रेशम की मांग की आपूर्ति एवं सिल्क उत्पादन बढ़ाने के लिए अधोसंरचना निर्माण करना, उत्पादकता में वृद्धि करना तथा नई तकनीक को मैदानी स्तर पर लागू किया जा रहा है। रेशम प्रभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं से एक लाख 17 हजार 986 हितग्राही एवं श्रमिक लाभान्वित हुए हैं।

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ग्रामोद्योग संचालक सुधाकर खलखो ने बताया कि टसर रेशम विकास एवं विस्तार योजनांतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में 427 टसर केन्द्र एवं स्थलों तथा प्राकृतिक वन-खण्डों में 12171 हेक्टेयर टसर खाद्य पौधों का उपयोग कर तथा साल, साजा, सेन्हा, धौवड़ा, बेर आदि द्वितीयक खाद्य पौधों पर नैसर्गिक बीज प्रगुणन कार्यक्रम के अंतर्गत प्राकृतिक वन-खण्डों में 185 कैम्प का आयोजन किया गया। जिसके फलस्वरूप प्रदेश में नई सरकार के गठन उपरांत 22 माह में 37 करोड़ 73 लाख नग टसर ककून उत्पादन एवं संग्रहण किया गया और उत्पादित ककून से राज्य में 671 मीट्रिक टन टसर रॉ सिल्क का अनुमानित उत्पादन हुआ है।

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उन्होंने बताया कि मलबरी रेशम विकास एवं विस्तार योजनांतर्गत प्रदेश के विभिन्न जिलों में 66 मलबरी केन्द्रों पर 588 एकड़ शहतूत पौधरोपण का उपयोग कर नई सरकार गठन उपरांत 22 माह में एक लाख 12 हजार 683 किलोग्राम मलबरी ककून उत्पादन किया गया। उत्पादित ककून से प्रदेश में 14.08 मिट्रिक टन मलबरी रॉ सिल्क का अनुमानित उत्पादन हुआ है। इसी प्रकार कोसा धागाकरण योजनांतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में 3649 मोटराईज्ड रीलिंग कम ट्विस्टिंग एवं स्पीनिंग तथा बुनियाद मशीनों के माध्यम से 2258 हितग्राहियों के द्वारा 87.40 लाख नग टसर ककून का उपयोग कर 5340 किग्रा टसर रॉ सिल्क एवं घींचा धागे का उत्पादन धागाकारक हितग्राहियों के द्वारा किया गया।

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खलखो ने बताया कि प्रशिक्षण एवं अनुसंधान योजनांतर्गत रेशम प्रभाग से जुड़े विभागीय कर्मचारियों एवं हितग्राहियों को टसर एवं मलबरी के अंतर्गत गुणवत्ता एवं मात्रात्मक कोसा उत्पादन वृद्धि, नवीन विधाओं एवं केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण से संबंधित फील्ड ट्रायल तथा उच्च गुणवत्तायुक्त टसर, मलबरी, स्वस्थ समूह का उत्पादन एवं टसर, मलबरी के नवीन प्रजाति के पौधरोपण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है और अनुसंधान के माध्यम से नवीन विधाओं की खोज हेतु ट्रायल्स आदि अनुसंधान गतिविधियां संपादित की जाती है। राज्य में अब तक 22 माह में 4058 विभागीय कर्मचारियों, हितग्राहियों को कार्यशाला के माध्यम से रेशम की विधाओं का प्रशिक्षण दिया गया है।

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