BJP विधायक को कोर्ट ने सुनाई जेल की सजा, फर्जी मार्कशीट पर पत्नी को लड़ाया था चुनाव...जानें पूरा मामला  | Court sentenced BJP MLA to jail, wife fought election on fake marksheet... know the whole matter

BJP विधायक को कोर्ट ने सुनाई जेल की सजा, फर्जी मार्कशीट पर पत्नी को लड़ाया था चुनाव…जानें पूरा मामला 

BJP विधायक को कोर्ट ने सुनाई जेल की सजा, फर्जी मार्कशीट पर पत्नी को लड़ाया था चुनाव...जानें पूरा मामला 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : July 13, 2021/9:18 am IST

उदयपुर। फर्जी मार्कशीट मामले में उदयपुर से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा जेल भेजा गया है, बीजेपी विधायक पर साल 2015 से फर्जी मार्कशीट का केस चल रहा था, अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी ने सेमारी सरपंच का चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी, जिसके बाद हारी हुई प्रत्याशी सगुना देवी ने शांता देवी की पांचवी क्लास की मार्कशीट फर्जी होने का दावा करते हुए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। 

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राजस्थान के उदयपुर जिले की एक अदालत ने फर्जी मार्कशीट पर पत्नी को पंचायत चुनाव लड़ाने के आरोप में सलूम्बर से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। सराड़ा की निचली अदालत ने सोमवार को इस मामले में मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। बीजेपी विधायक मीणा ने इस मामले में न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था। शांता देवी के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई और अभी वह बेल पर बाहर हैं। 

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उदयपुर एसपी ने बताया कि विधायक मीणा की अंतरिम बेल की अर्जी को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही खारिज कर दिया था। मीणा ने पिछले महीने हाईकोर्ट में बेल अर्जी दी थी, जिसके खारिज होने के बाद फर्जी मार्कशीट का यह मामला उच्चत्तम न्यायालय तक पहुंचा।  न्यायालय ने विधायक अमृतलाल मीणा को मामले में तीन हफ्ते में स्थानीय अदालत में सरेंडर करने के आदेश दिए। इसके बाद सोमवार को विधायक मीणा ने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

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बता दें कि राजस्थान की पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को लागू किया गया था। जिला पंचायत चुनावों के लिए जहां उम्मीदवार का दसवीं पास होना जरूरी था तो वहीं सरपंच चुनाव के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का आठवीं और पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों का पांचवी कक्षा तक पढ़ा-लिखा होना अनिवार्य था। हालांकि, गहलोत सरकार ने इस फैसले को पलटते हुए पुराने नियमों को लागू कर दिया।