फसल बीमा मुआवजा या शिवराज के राज में किसानों से मजाक ? | Crop insurance compensation or jock with farmers

फसल बीमा मुआवजा या शिवराज के राज में किसानों से मजाक ?

फसल बीमा मुआवजा या शिवराज के राज में किसानों से मजाक ?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : September 20, 2017/8:36 am IST

 

आपने अक्सर केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक से ये सुना होगा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में एक बड़ी योजना है। इस योजना के तहत किसानों को उनकी फसल को होने वाले नुकसान के बदले बीमा राशि मिलती है, ऐसे में ये योजना किसानों के हित में एक बड़ा कदम लगती भी है, लेकिन जमीनी स्तर पर इस योजना से किसानों को कितनी राहत मिल रही है, इसे जानने के लिए देखिए मध्यप्रदेश के सीहोर की ये खबर।

PM मोदी ने किया नई फसल बीमा योजना का आगाज, देशभर की मंडियां होंगी ऑनलाइन

सीहोर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है और इसी गृह जिले में एक गांव है तिलारिया। यहां की प्रमुख फसलों में से एक है सोयाबीन, जो इस बार नष्ट हो गई। आकलन से जानकारी सामने आई कि कुल 52 किसानों की सोयाबीन की फसल बर्बाद हुई है। इन 52 किसानों के फसल की कुल बीमा राशि आई 3061 रुपये 50 पैसे। इस राशि को किसानों में उनकी बर्बाद फसल के अनुपात में वितरित किया गया और किसानों को सर्टिफिकेट भी दिए गए। इन सर्टिफिकेट पर एक ओर प्रधानमंत्री और दूसरी ओर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की तस्वीर लगी हुई है, लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा राशि का प्रभावित किसानों में वितरण शासन-प्रशासन के लिए ये उपलब्धि के तौर पर नहीं, बल्कि फजीहत के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, 52 किसानों में सबसे ज्यादा रकम जिस नीला बाई को मिली है, वो 194 रुपये 22 पैसे है, जबकि इन्होंने प्रीमियम 5220 रुपये भरा था। एक किसान को 17 रुपये 46 पैसे मिले हैं तो एक अन्य किसान को 4 रुपये 70 पैसे। जिस किसान को 17 रुपये 46 पैसे मिले हैं, उनकी 2 एकड़ में लगी फसल बर्बाद हुई है और उनकी प्रीमियम राशि थी 1342 रुपये।

फसल बीमा योजना को न तो हम समझ सके, और न ही किसानों को समझा सके: गौरीशंकर बिसेन

सबसे खास बात ये है कि सीहोर जिले में फरवरी 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी। मध्य प्रदेश में हाल ही में किसानों का आंदोलन भी हुआ था और इसी आंदोलन के दौरान मंदसौर में किसानों पर पुलिस फायरिंग भी हुई थी, जिसमें आधा दर्जन लोगों की मौत हुई थी। इसके बावजूद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सीहोर में वितरित राशि को लेकर किसानों के हित में लागू योजनाओं को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। आधिकारिक तौर पर अभी ये सामने नहीं आया है कि सीहोर के तिलारिया गांव के सोयाबीन उत्पादक किसानों को मिली राहत राशि बीमा प्रदाता कंपनी की भूल का नतीजा है या फिर किसानों को इसी अनुपात में राहत राशि दिए जाने का प्रावधान है ?