सरगुजा। उस शख्स के पुरखे जानवरों की बलि देने का काम करते थे। विरासत में उसने भी यही काम शुरू कर दिया। लेकिन वक्त गुजरा, तो उसे लगने लगा कि अब उसे ये काम नहीं करना चाहिए। उसने जानवरों की बलि देना बंद किया, तो पूरा गांव और पंचायत उसके खिलाफ हो गया। फैसला हुआ उसके बहिष्कार और हुक्का-पानी बंद कर देने का, जिसके बाद गरीब परिवार इंसाफ की गुहार लगाता फिर रहा है।
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ये हैं महेश यादव, जो अपने बच्चों और पत्नी के साथ सरगुजा के धौरपुर ब्लाक के देवरी में मिट्टी के घर में रहते हैं। इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाकर दिया जाना है, लेकिन गांव की पंचायत इसके खिलाफ है। लिहाजा महेश का घर नहीं बन पा रहा है। महेश का हुक्का पानी गांव से बंद कर दिया गया है। जिसकी वजह ये है कि इसने जानवरों की बलि देने का अपना पुश्तैनी काम बंद कर दिया है।
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हालांकि पंचायत की दलील है कि महेश फुटबाल मैदान वाली जगह पर मकान बनाना चाहता है, जिसका विरोध किया जा रहा है। वहीं पुलिस का कहना है कि उसके पास लिखित शिकायत तो आई है, लेकिन हुक्का-पानी बंद कर गांव से बहिष्कार करने की जानकारी उसे भी नहीं है।गांव के लोगों के साथ महेश के अपने रिश्तेदारों ने भी उससे जिस तरह की दूरी बना ली है। उससे पूरा मामला साफ हो जाता है कि गांव की पंचायत के खिलाफ कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं। सवाल ये है कि ऐसी पंचायत और मूक पुलिस से महेश को इंसाफ कैसे मिलेगा।
वेब डेस्क, IBC24
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