सरकारी अस्पतालों में मौत सिर्फ एक आंकड़ा, फिर एक दिन में 6 मौतें.. गिनती जारी है ! | Death in government hospitals is just a figure, then 6 deaths a day. Counting is going on

सरकारी अस्पतालों में मौत सिर्फ एक आंकड़ा, फिर एक दिन में 6 मौतें.. गिनती जारी है !

सरकारी अस्पतालों में मौत सिर्फ एक आंकड़ा, फिर एक दिन में 6 मौतें.. गिनती जारी है !

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : August 24, 2017/1:38 pm IST

 

बिलासपुर जिले में स्वास्थ्य महकमे की संवेदनहीनता और लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा और मस्तूरी के नसबंदी कांड के बाद अब पेंड्रा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे के भीतर 6 लोगों की मौत का मामला सामने आया है। दरअसल यहां की जाटादेवरी गांव की रहने वाली 

शांति बाई नाम की महिला ने 23 अगस्त को सुबह 11 बजे एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया और बच्चों की जन्म के साथ स्थिति खराब होने के चलते यहां के चिकित्सक ने बच्चों को बिलासपुर रिफर कर दिया और परिजनों तभी से 108 संजीवनी एम्बुलेंस बुलाने का प्रयास करते रहे पर पूरा दिन और रात बीत जाने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं आयी और तो और बीएमओ सहित अन्य स्टाफ की ओर से भी कोई मदद नहीं हुयी और बच्चे अस्पताल में ही पड़े रहे और रात होने के साथ ही सुबह तक एक एक करके तीनों बच्चों ने दम तोड़ दिया। बच्चों की मौत के बाद भी एंबुलेंस नहीं आयी और न ही अस्पताल प्रबंधन की ओर से विकल्प बतौर कोई मदद देकर इनको बिलासपुर शिफ्ट कराने की पहल की गयी। तड़प तड़प कर तीनों नवजात बच्चों की मौत हो गयी पर किसी भी स्टाफ ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई। अब बच्चों की मौत के पीछे का कारण प्रीमेच्योर होना और कमजोरी बतला रहे है जबकि अस्पताल प्रबंधन चाहता तो जीवनदीप समिति या अन्य जरिये से बच्चों के लिये एम्बुलेंस या दूसरे साधन करवा सकता था जबकि बीएमओ पेंड्रा खुद शिशुु रोग विषेशज्ञ है और मामले में उन्होने भी बच्चों को बचाने के लिये रिफर करने और बिलासपुर जाने की सलाह देने के अलावा कोई विषेश प्रयास नहीं किया।

इसके अलावा 24 घंटें में इसी अस्पताल में तीन और लोगों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया जिसमें कुदरी गांव की रहने वाली माला नाम की युवती को सांप ने काट लिया था और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी वहीं उड़ान गांव के रहने वाली 6 साल की अंजली को ज्वाइंडिस हो गया था और उसको भी यहां पदस्थ डाॅक्टरों के द्वारा बचाया नहीं जा सका और उसकी भी मौत हो गयी वहीं कोटमी गांव का रहने वाला धरमलाल ने भी टीबी बीमारी से उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। सरकारी अस्पताल में 24 घंटे के भीतर 6 मौतों के पीछे लापरवाही के साथ ही साथ असंवेदनशील रवैया तो है ही यहां पदस्थ बीएमओ खुद ही सरकारी डयूटी में कम और निजी क्लीनिक में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। करीब एक दशक से यहां बीएमओ के पद पर काबिज होने के चलते लापरवाही चरम पर है और अब जनप्रतिनिधि इन मौतों को लेकर आक्रोशित नजर आ रहे और उच्चाधिकारियों को शिकायत करने की बात कह रहे हैं।

 

 
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