ई-वे बिल 6 राज्यों में लागू, वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर नया बिल जरुरी, समझिए है क्या ये | E-Way Bill :

ई-वे बिल 6 राज्यों में लागू, वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर नया बिल जरुरी, समझिए है क्या ये

ई-वे बिल 6 राज्यों में लागू, वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर नया बिल जरुरी, समझिए है क्या ये

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : June 1, 2018/10:51 am IST

नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद आखिरकार राज्य के भीतर माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली आज से छत्तीसगढ़, पंजाब और ओडिशा समेत 6 राज्यों में लागू हो गई। जीएसटी नेटवर्क के मुताबिक छह राज्यों- मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, छत्तीसगढ़, गोवा और जम्मू-कश्मीर में एक जून से राज्य के अंदर माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली लागू होने जा रही है। यह प्रणाली तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2 और 3 जून से अमल में लाई जाएगी।

वहीं केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड कह चुका है कि राज्य के भीतर वस्तुओं की आवाजाही के लिए ई-वे बिल 3 जून से अनिवार्य होगा। अभी तक 27 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस व्यवस्था को लागू कर चुके हैं। अप्रैल के पहले सप्ताह में निकाले गए ई-वे बिल की संख्या 8 लाख  थी, जबकि 30 मई तक यह संख्या बढ़कर औसतन 16.8 लाख हो गई है। वहीं जीएसटीएन के अनुसार ई-वे पोर्टल पर अब तक कुल 6.43 करोड़ ई-वे बिल निकाले जा चुके हैं।

आइए समझते हैं कि ये ई-वे बिल है क्या

ई-वे बिल, दरअसल एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक बिल होता है जो कंप्यूटर पर बना हुआ होता है। जीएसटी के तहत किसी माल को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए ऑनलाइन बिल भी तैयार करना होगा। ये बिल जीएसटी पोर्टल पर भी स्वत: दर्ज हो जाएगा। यही ऑनलाइन बिल ई-वे बिल कहलाता है।

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दरअसल, जीएसटी लागू होने से पहले सेल्स टैक्स और राज्यों के वेट प्रणाली में भी बिल बनता था लेकिन वह कागजों पर होता था। उसे रोड परमिट कहा जाता था।  जीएसटी में इसे ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक रुप में रखा गया है। इलेक्ट्रॉनिक होने की वजह से इसे जीएसटी नेटवर्क पर भी अपलोड किया जाएगा।

सामान्य शब्दों में कहें तो अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर ही कहीं और लाना-ले जाना होता है तो भेजने वाले को पहले ई-वे बिल जनरेट करना होगा। वस्तु भेजने वाले के लिए यह बिल उन वस्तुओं के आवाजाही के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं हैं।

इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और प्राप्तकर्ता (Recipients) का विवरण दिया जाता है। जिस वस्तु की आवाजाही एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के अंदर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो आपूर्तिकर्ता को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।

अगर किसी वस्तु की आवाजाही 100 किलोमीटर तक होती है तो इस बिल की वैधता सिर्फ एक दिन के लिए होगी। अगर 100 से 300 किमी के बीच होती है तो 3 दिन, 300 से 500 किमी के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किमी के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए वैध माना जाएगा।

यह भी याद रखें कि इस बिल के अंतर्गत विक्रेता को जानकारी देनी होगी कि वह किस सामान को बेच रहा है, वहीं खरीदने वाले व्यक्ति को जीएसटीन पोर्टल पर जानकारी देनी होगी कि उसने या तो गुड्स को खरीद लिया है या फिर उसे रिजेक्ट कर दिया है। अगर आप कोई जवाब नहीं देते हैं तो यह मान लिया जाएगा कि आपने वस्तु को स्वीकार कर लिया है।

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सामान ले जाने वाले वाहन के एक्सीडेंट होने की स्थिति में सामान दूसरे वाहन में ट्रांसफर करने के बाद फिर से एक नया ई-वे बिल जनरेट करना होगा। वहीं जब विक्रेता ई-वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेगा तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) मिलेगा। यह ईबीएन सप्लायर, ट्रांसपोर्टर और प्राप्तकर्ता तीनों के लिए होगा।

अगर किसी एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान हो तो ट्रांसपोर्टर को एक समेकित बिल बनाना पड़ेगा। इस बिल के अंदर सारी कंपनियों के सामान की अलगअलग डिटेल होना आवश्यक है।

वेब डेस्क, IBC24

 
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