भोपाल। महापौर के चुनाव पार्षदों से कराने के अध्यादेश के मामले में पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी का बयान आया है जिसमें उन्होने कहा है कि संविधान का पालन करना ही राजधर्म है। कप्तान सिंह सोलंकी विवेक तन्खा के राज्यपाल लालजी टंडन को राजधर्म की नसीहत पालन करने वाले बयान पर वे बोल रहे थे।
उन्होने पूछा कि महापौर का चुनाव जनता के द्वारा होना ज्यादा डेमोक्रेटिक है या पार्षदों के द्वारा चुनाव होना ज्यादा डेमोक्रेटिक बताइए?
उन्होने कहा कि जनता सर्वोपरि होती है, जनता महत्वपूर्ण होती है, जो चीज जनता के द्वारा होती है वह ज्यादा लोकतांत्रिक है, गवर्नर हेड ऑफ दी स्टेट बट सीएम हेड ऑफ दी गवर्मेन्ट होते हैं। पूर्व राजपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि महापौर का चुनाव कराने वाले विधेयक पर राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं। गवर्नर अगर सहमत नहीं है प्रस्ताव पर सरकार से गवर्नर स्पष्टीकरण पूछ सकता है।
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इसके साथ ही उन्होने कहा कि गवर्नर अपने पास पेंडिंग भी रख सकते हैं जिसकी कोई समय सीमा नहीं है इसके अलावा गर्वनर बिल राष्ट्रपति के पास भी भेज सकते हैं। राजधर्म का मतलब संविधान के अनुसार चलना है, राज धर्म के अनुसार ही गवर्नर के पास तीन विकल्प हैं।
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