खरसिया। सिविल अस्पताल में गर्भवती महिला के उपचार में लापरवाही बऱते जाने से महिला व बच्चे की मौत पर उसके पति ने खरसिया सिविल अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक सहित पांच लोगों के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था। जिस पर फोरम नें इलाज में लापरवाही मानते हुए महिला चिकित्सक सहित सभी अनावेदकों को मानसिक क्षति पूर्ति सहित 19 लाख 72000 देने का आदेश जारी किया है।
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दरअसल खरसिया के ग्राम घघरा निवासी भागवत प्रसाद राठौर की पत्नी शशि कला को 26 जुलाई 2015 को प्रसव पीड़ा होने पर रात 12ः00 बजे सिविल अस्पताल खरसिया में भर्ती किया गया था। उस समय डॉक्टर ललिता राजनाला तथा डॉ राजेश कुमार सिंह की रात्रि कालीन ड्यूटी थी, उक्त दोनों ही चिकित्सक अस्पताल में न रहकर घर पर सो रहे थे। अस्पताल में उपस्थित नर्स द्वारा उन्हें फोन से सूचित किया गया लेकिन वह नहीं आए। इस बीच नर्स द्वारा ही उसका उपचार किया जाता रहा, रात तकरीबन 2ः30 बजे डॉक्टर ललिता आई तथा गर्भवती महिला को उनके द्वारा रायगढ़ जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। ऐसे में आनन-फानन में भागवत राठौर अपनी पत्नी को लेकर रायगढ़ पहुंचा तथा निर्धारित शुल्क देकर जिला चिकित्सालय में भर्ती किया।
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लेकिन यहां भी चिकित्सक नहीं मिले, तथा नर्स ने जांच कर उसे बताया कि पेट में बच्चे की नब्ज पता नहीं चल रही है हो सकता है उसकी मृत्यु हो गई हो, लिहाजा ऑपरेशन करना पड़ेगा। उसने ऑपरेशन संबंधित दवा लाने के लिए लिख कर दिया भागवत जब दवा लेकर पहुंचा तो नर्स ने उसे बताया कि उसकी पत्नी और बच्चे दोनों की मृत्यु हो गई है। प्रसव में विलंब होने की वजह से ऐसा हुआ है। इस घटना पर भागवत ने खरसिया थाने में लिखित शिकायत देकर कार्यवाही करने की मांग की थी, जिस पर शशि कला के शव का पोस्टमार्टम कराया गया था। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में भी समय पर प्रसव नहीं होने के कारण मृत्यु होना बताया गया। भागवत ने एक और जहां इस घटना को लेकर न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया गया, वहीं दूसरी ओर क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर उपभोक्ता फोरम में भी उस वक्त वाद प्रस्तुत किया गया था. जिसमें खरसिया अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर ललिता राजनाला, डॉ. राजेश कुमार सिंह सहित कलेक्टर रायगढ़ एवं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सीएमएचओ के विरुद्ध वादा किया गया था।
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14 दिसंबर 2017 को फोरम की ओर से चिकित्सकों के पक्ष में आदेश पारित कर दिया गया था जिस पर भागवत राठौर ने इस फैसले के विरुद्ध अपील की थी वहीं राज्य आयोग के 4 जून 2018 के आदेश पर भागवत राठौर को उपभोक्ता मानते हुए पुनः सुनवाई की गई थी जिसमें राज्य आयोग ने कहा था कि गुण दोष के आधार पर प्रकरण का निराकरण करें वही पुनः सुनवाई के बाद फोरम के अध्यक्ष एम डी जगदल्ला, सदस्य षिषिर वर्मा व मृदुला तामस्कर ने उभयपक्षों की सुनवाई के बाद चिकित्सकों द्वारा उपचार में घोर लापरवाही बरतना मानते हुए खरसिया अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर श्रीमती ललिता राजनाथ डॉ राजेश कुमार सिंह को दोषी पाया गया। इन दोनों के साथ ही कलेक्टर रायगढ़ एवं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सीएमएचओ की भी जवाबदारी तय करते हुए उन्हें भागवत राठौर द्वारा दायर किए गए वाद के अनुसार 1872000 एवं मानसिक व शारीरिक क्षति पूर्ति के लिए 100000 तथा वाद व्यय 1001 रूपये यानी कुल 1973001 रूपये एक माह के भीतर अदा करने का आदेश जारी किया गया है। मामले की जानकारी मिलते ही अस्पताल पहुंचे छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल ने जमकर अस्पताल प्रशासन को लताड़ा और साल भर में कितने मरीज भर्ती हुए कितने मरीजों को रेफर किया गया कितने मरीजों की यहां मृत्यु हुई पूरी जानकारी तत्काल देने की बात कही और आगे हिदायत दी कि इस प्रकार की आगे लापरवाही होने पर और सख्त कार्रवाई की जाएगी।