जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की जैजैपुर विधानसभा से..मुद्दों और सियासी बिसात से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल. जांजगीर-चांपा जिले में आती है विधानसभा सीट
कुल मतदाता- 2 लाख 23 हजार 495
पुरुष मतदाता-1 लाख 14 हजार 804
महिला मतदाता- 1 लाख 8 हजार 691
विधानसभा में 1 नगर पंचायत और 3 ब्लॉक शामिल
वर्तमान में विधानसभा सीट पर बसपा का कब्जा
केशव चंद्रा हैं बसपा विधायक
जैजैपुर विधानसभा की सियासत
जैजैपुर विधानसभा में चुनाव नजदीक आते ही सियासी बिसात भी बिछना शुरु हो गई है..इस बार के चुनावी मैदान में बीजेपी-कांग्रेस और बसपा के साथ JCCJ और आप भी दिखाई देगी ।मतलब चुनावी समर में टक्कर तगड़ी होगी ।
जैजेपुर विधानसा में हाथी की धमक सुनाई देती है बीते चुनाव में बसपा के केशव चंद्रा ने बीजेपी के कैलाश साहू को शिकस्त दी थी..2018 के चुनावी समर में भी बसपा जीत का परचम लहराने की कोशिश में जुट गई है तो वहीं बीजेपी और कांग्रेस के साथ JCCJ भी जीत की संभावनाएं तलाशती दिखाई दे रही है..इसके साथ ही विधायक की टिकट की दावेदारी भी शुरु हो गई है..बसपा से वर्तमान विधायक केशव चंद्रा का टिकट पक्का माना जा रहा है..तो कांग्रेस में दावेदारों की लाइन लंबी है..जिसमें सबसे आगे नाम है बालेश्वर साहू का..इसके अलावा बलराम चंद्रा, ज्ञान चंद्रा, टेकचंद चंद्रा और अनिल चंद्रा भी दावेदार हैं…कांग्रेस की तरह ही बीजेपी में भी दावेदारों की लाइन लगी है..पूर्व विधायक निर्मल सिन्हा सबसे प्रबल दावेदार है..तो वहीं गोपी सिंह ठाकुर, कैलाश साहू, कीर्तन चंद्रा और कृष्णकांत चंद्रा दावेदार हैं…अब बात JCCJ की करें तो हर्षवर्धन,नगर पंचायत अध्यक्ष मीना महेंद्र चंद्रा और कमल भार्गव दावेदार हैं..तो वहीं आम आदमी पार्टी से दादूराम मनहर दावेदार हैं। जैजेपुर में अब तक तो चुनावी मैदान में बीजेपी,कांग्रेस और बसपा में मुकाबला रहा है..लेकिन इस बार JCCJ और आप भी चुनौती पेश करेगी ।
जैजैपुर विधानसभा के मुद्दे-
जैजैपुर विधानसभा में समस्याओं का अंबार है..गांवों में सड़क नहीं..पीने का पानी नहीं…अस्पतालों में डॉक्टर तो स्कूलों में शिक्षक नहीं..यही हाल है जैजैपुर का जांजगीर-चांपा जिले की सबसे पिछड़ी विधानसभा में गिनती होती है जैजेपुर की…क्योंकि बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रहे हैं लोग…इलाके में कई ऐसे गांव हैं जहां अब तक रोड कनेक्टिविटी नहीं है…जैजेपुर-पिहरीद सड़क बदहाली की शिकार है…पेजयजल संकट से निपटने के लिए कहने को तो नल योजना बनी लेकिन दर्जनों गांव आज भी प्यासे हैं..स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा की भी हालत खराब है।
बम्हनीडीह और बोथिया में कॉलेज की मांग सालों से की जाती रही है लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी है… शिक्षा के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की भी हालत खराब है…अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज बड़े शहर जाने को मजबूर हैं… इसके अलावा बम्हनीडीह और हसौद में तहसील की मांग पूरी नहीं हो सकी है…विधानसभा में बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है.. रोजगार के साधनों के अभाव में पलायन थम नहीं पा रहा…किसान भी कई समस्याओं से घिरा नजर आता है..सिंचाई के पर्याप्त साधन ना होने की वजह से खेत प्यासे हैं. तो वहीं सूखा राहत राशि अब तक किसानों को नहीं मिल सकी है ।
वेब डेस्क, IBC24
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