मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव चार चरणों में होना हैं, बात करें सीधी लोकसभा सीट की तो यहां 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इस बार सीधी लोकसभा सीट से 27 प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां मुख्य मुकाबला मौजूदा सांसद भाजपा की रीति पाठक और कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह के बीच है। सीधी जिले की चार, सिंगरौली की तीन और शहडोल जिले की ब्योहारी को मिलाकर इस लोकसभा सीट का गठन किया गया। 2018 के विधानसभा चुनाव में एक सीट कांग्रेस और सात सीटें भाजपा के पास हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में प्रत्याशी
भाजपा : रीति पाठक
सीधी लोकसभा सीट पर मध्यप्रदेश की राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह का परिवार अपनी राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र अजय सिंह इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में उनकी पैतृक सीट चुरहट उनके हाथ से निकल गई थी। ऐसे में इस चुनाव में अजय सिंह जीत हासिल करना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
वहीं उनके मुकाबले में बीजेपी की वर्तमान सांसद रीति पाठक हैं जिन्होंने जिला पंचायत से लोकसभा तक का सफर किया है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे का बड़ा फायदा मिल सकता है। वैसे भी सीधी संसदीय सीट पर कभी भी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। यहां कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस जीतती रही है या यूं कहें दोनों दलों में लगभग बराबरी का मुकाबला देखने को मिलता रहा है। पिछली दो लोकसभा चुनाव से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, वहीं कांग्रेस इस सीट पर वापसी करने की जुगत में है।
जातीय समीकरण
यहां आदिवासी समाज की बहुलता है। सबसे ज्यादा गोंड और ओबीसी वोटर निर्णायक साबित होते हैं। 8 में से 3 सीटें (धौहनी, चितरंगी व ब्यौहारी) आदिवासी व देवसर सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है, बाकी पर आदिवासी वर्ग की बहुलता है। गोंड जनजाति को साधने वाले की जीत तय मानी जाती है।
गोंड़ 37%
ओबीसी 28%
एससी 13%
ब्राह्मण 19%
क्षत्रिय 07%
अल्पसंख्यक 3.2%
चुनावी मुद्दे
यहां बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बना है। फैक्ट्री और पावर प्लांट होने के बाद भी स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। भूमि अधिग्रहण के बाद उचित मुआवजा नहीं मिला। रेल सुविधा का अभाव है। नहर का अधूरा निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद कमी। रीवा और उप्र के भरोसे इलाज। सड़क की समस्या।
सीधी संसदीय सीट पर कभी भी किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है. यहां कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस जीतती रही है या यूं कहें दोनों दलों में लगभग बराबरी का मुकाबला देखने को मिलता रहा है. पिछली दो लोकसभा चुनाव से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, वहीं कांग्रेस इस सीट पर वापसी करने की जुगत में है.
जनसंख्या
2011 की जनगणना के मुताबिक सीधी की जनसंख्या 2684271 है। यहां की 86.77 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 13.23 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। सीधी में 11.68 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 32.18 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में सीधी लोकसभा सीट पर 17, 36, 050 मतदाता थे। इनमें से 8,20,350 महिला मतदाता और 9,15,700 पुरुष मतदाता थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर 56.99 फीसदी मतदाता हुआ था।
मतदाता
2014 में कुल मतदाता 17, 36, 050
महिला मतदाता 8, 20,350
पुरुष मतदाता 9, 15,700
लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम
वर्ष 2014 में मोदी लहर के समय में बीजेपी की रीति पाठक ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराया था। रीति पाठक को 4,75,678 वोट मिले तो वहीं इंद्रजीत कुमार को 3,67,632 वोट मिले थे। वहीं बहुजन समाज पार्टी इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी। भाजपा प्रत्याशी रीति पाठक ने इस चुनाव में 1,08,046 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था। इस चुनाव में रीति पाठक को 48.08% वोट, इंद्रजीत को 37.16% वोट और बीएसपी उम्मीदवार को 3.98% वोट मिले थे।
लोकसभा चुनाव 2009 के परिणाम
अगर हम बात करें लोकसभा चुनाव 2009 की तो यहां पर इस वर्ष बीजेपी ने जीत हासिल की थी। बीजेपी के गोविंद प्रसाद ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराया था। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार वीणा सिंह तीसरे स्थान पर थीं। गोविंद प्रसाद को 2,70,914 वोट मिले थे तो वहीं इंद्रजीत कुमार को 2,25174 वोट मिले थे। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी को 66,985 वोट इस सीट पर मिले थे।
बता दें कि बीजेपी औऱ कांग्रेस ने इस सीट पर बराबरी का ही मुकाबला खेला है। दोनों पार्टियों को यहां पर 6-6 बार जीत दर्ज हुई है। जहां बीजेपी लगातार दो बार से इस सीट पर काबिज है तो वहीं कांग्रेस भी इस बार पूरी तैयारी के साथ इस सीट पर जीत दर्ज कर वापसी करना चाहती है।