मध्यप्रदेश उपचुनाव : ग्वालियर विधानसभा में आमने-सामने सिंधिया के दो समर्थक, किसे मिलेगा जनता का साथ ? देखिए | Madhya Pradesh by-election: Who will get two supporters of Scindia face to face in Gwalior Assembly? Look

मध्यप्रदेश उपचुनाव : ग्वालियर विधानसभा में आमने-सामने सिंधिया के दो समर्थक, किसे मिलेगा जनता का साथ ? देखिए

मध्यप्रदेश उपचुनाव : ग्वालियर विधानसभा में आमने-सामने सिंधिया के दो समर्थक, किसे मिलेगा जनता का साथ ? देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:03 PM IST, Published Date : October 7, 2020/4:39 pm IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ओर बीजेपी की तरफ से प्रत्याशियों की नाम की घोषणा के साथ ही चुनावी बिसात बिछाना शुरू हो गयी है। खासकर ग्वालियर विधानसभा की बात करें तो राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो शिष्य आमने-सामने हैं। सिंधिया के कांग्रेस में रहते यह दोनों उनका झंडा थामकर चलते थे, लेकिन सिंधिया के भाजपा में जाने पर मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी उनके साथ हैं और अब भाजपा के प्रत्याशी हैं। वहीं कांग्रेस ने सिंधिया के साथ नहीं जाने पर इनाम के रूप में सुनील शर्मा को प्रद्युम्न के मुकाबले उतारा है।

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सुनील शर्मा द्वारा लंबे समय से इस क्षेत्र से विधानसभा टिकट की मांग की जाती रही, लेकिन सिंधिया की पहली पसंद प्रद्युम्न सिंह रहने के कारण सुनील को हर बार पीछे हटना पड़ा। इस तरह 3 नवंबर को मतदान में प्रद्युम्न तोमर और सुनील शर्मा आमने-सामने हैं, दोनों ही अपने अपने हिसाब से जनसंपर्क में लगे हुए हैं। वहीं इस चुनाव को क्षत्रिय विरुद्ध ब्राह्मण भी कहा जा रहा है।

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दरअसल उपनगर ग्वालियर के नाम से प्रसिद्ध ग्वालियर विधानसभा में व्यापक क्षेत्र आता है। वैसे यह सीट परंपरागत भाजपा का गढ़ रही है, फिर भी बाबू रघुवीर सिंह और दो बार प्रद्युम्न सिंह तोमर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे हैं। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रद्युम्न सिंह तोमर दूसरी बार विजयी हुए। उन्होंने भाजपा के जयभान सिंह पवैया को लगभग 21 हजार मतों से हराया। दूसरी बार विजई हुए तोमर को कमलनाथ मंत्रिमंडल में स्थान मिला और उन्हें खाद्य विभाग सौंपा गया। इस दौरान वे कीचड़ युक्त नदी नालों में उतरे और गंदे पानी के खिलाफ भी खूब हाथ-पैर मारे।

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इसी तरह सुनील शर्मा भी विपक्ष में रहते संघर्षशील रहे। यदा-कदा मोती महल का घेराव भी उन्होंने किया। कोरोना काल में जब लोग बेरोजगार होकर घर बैठे थे तब प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भोजन, खाद्य सामग्री और मास्क का वितरण कराया, वहीं सुनील शर्मा भी सीमित संसाधनों के बावजूद सेवा कार्य में जुटे रहे। दल बदल के बाद प्रदुम्न सिंह तोमर ने भाजपा संगठन से मेल मिलाप कर सक्रियता बढ़ाई।

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वहीं सुनील शर्मा के साथ युवा टीम तो है किंतु वरिष्ठ कांग्रेसियों को साथ लेना उनके लिए बड़ी चुनौती भी है। क्योंकि हाल ही में वरिष्ठ नेता अशोक शर्मा टिकट न मिलने से खफा होकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए हैं। वहीं प्रघुम्न सिंह कह रहे हैं कि वो ज्योतिरादित्य के शिष्य हैं इसलिए उन्हें फायदा मिलेगा, तो वहीं सुनील शर्मा का कहना है उस शिष्य ने जनमत को बेचा है, इसलिए असली शिष्य को जनमत मिलेगा।

 
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