'नाम' पर महाभारत! इस सियासी लड़ाई से आखिर जनता को क्या हासिल होगा?  | Mahabharata on 'name'! What will the public gain from this political battle?

‘नाम’ पर महाभारत! इस सियासी लड़ाई से आखिर जनता को क्या हासिल होगा? 

'नाम' पर महाभारत! इस सियासी लड़ाई से आखिर जनता को क्या हासिल होगा? 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : June 22, 2021/5:40 pm IST

भोपाल: मध्यप्रदेश में अब एक नए दौर की सियासत शुरु हो गई है, जो पहले दिल्ली या फिर उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती थी। जी हां, आप ठीक समझ रहे हैं, हम बात कर रहे हैं नाम बदलने की लगी होड़ पर जारी सियासत की। इसमें खास बात ये है कि अभी तक शहर ओर मोहल्लों के नाम बदलने की बात की जाती थी, लेकिन मध्यप्रदेश में अब व्यक्तिगत नाम को बदलने की बयानबाजी शुरू हो गई है। जिसमें राजनेता एक दूसरे पर नाम बदलने को लेकर जमकर तीखा और जातिवाद को लेकर तंज कस रहे हैं। अब सवाल ये है कि नाम पर जारी महाभारत से आम जनता को क्या हासिल होगा? 

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कहते हैं नाम में क्या रखा है, लेकिन आज की पॉलिटिक्स देखेंगे तो आप भी कहेंगे कि नाम में भरपूर सियासी स्कोप रखा है। नाम बदलने की सियासत ने मध्यप्रदेश का रुख़ कर लिया है। शुरुआत भोपाल से करते हैं, जहां भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पीसी शर्मा आमने सामने हैं। पहले सुनते हैं प्रज्ञा ठाकुर को आखिर वो कांग्रेस नेता पीसी शर्मा पर इतनी बिफर क्यों गई हैं? दरअसल प्रज्ञा ठाकुर का तीखा बयान पीसी शर्मा के उस राजनीतिक स्टंट पर आया है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को गोमूत्र की शीशी भेजी थी। बस फिर क्या था मध्यप्रदेश की राजनीति में नए तरह का भूचाल आ गया। गौमूत्र की शीशी से ऐसा जिन्न निकला की साध्वी प्रज्ञा ने पीसी शर्मा को न सिर्फ लताड़ा बल्कि उन्हें ऋषि का पुत्र रावण तक कह दिया। प्रज्ञा के मुताबिक जिस प्रकार ऋषि का पुत्र रावण हो सकता है, उसी तरह ब्राह्मण पिता के घर में एक विधर्मी ने जन्म लिया है। वहीं साध्वी के इस तीखे रिएक्शन से कांग्रेस के विधायक पीसी शर्मा भी तिलमिला गए। उन्होंने भी उसी भाषा में साध्वी प्रज्ञा पर हमला बोला।

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साध्वी प्रज्ञा ने पीसी शर्मा को नाम बदलने की सलाह दी तो ग्वालियर में भी बयानों की बाण चलने शुरु हो गए। दरअसल यहां विवाद भी शुरुआत ग्वालियर के नाम बदलने के प्रस्ताव से शुरु हुआ। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर ग्वालियर का नाम रानी लक्ष्मी बाई के नाम पर करने की मांग की है, जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि नाम तो कांग्रेस को अपना बदलना चाहिए। पीएम मोदी का ज़िक्र करते हुए सिंधिया कहते हैं कि पीएम मोदी सही कहते हैं कि कांग्रेस नामदारों की पार्टी है, जबकि बीजेपी कामदारों की। सिंधिया ने कांग्रेस पर हमला क्या बोला ग्वालियर से कांग्रेस विधायक सतीष सिकरवार ने सिंधिया को ही आड़े हथों ले लिया। सिरकरवार ने सिंधिया को ही नाम बदलने की सलाह दे डाली, तो वहीं दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर का नाम बदलने की वकालत की है। वहीं, हिंदू महासभा ने ग्वालियर के सराफा बाजार का नाम शहीद अमरचंद बांठिया के नाम से रखने की मांग की है। 

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नाम में क्या रखा है, लोग तो चेहरे भी भूल जाते हैं, लेकिन अब लगता है कि सबकुछ नाम में ही रखा है। शहर,जगह, गली और संस्थानों के नाम बदलने से शुरु हुई सियासत व्यक्तिगत लड़ाई तक पहुंच गई है। आज के माहौल को देख कर लगता है कि असल मुद्दों की चिंता ना तो विपक्ष को है ना ही सत्ता पक्ष को, सब अपनी अपनी रोटियां सेंक कर रहे हैं। अब देखना ये है कि नाम बदलने की सियासत आखिर कहां तक जाती है।

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