शहर दर शहर आसमान छूती गगनचुंबी इमारतों को देखकर या एक कस्बे से दूसरे नगर को जोड़ती लंबी चैड़ी सड़कों को देखकर या किसी विशालकाय मशीन को देखकर या आपके घर में काम कर रहे किसी मिक्सर को देखकर या किसी छोटे से इलेक्ट्रीक उपकरण को देखकर कभी तो आपने सोचा होगा की इन सब चीजों को बनाया किसने होगा। जिनके माध्यम से हम अपना काम आसानी से पूरा कर लेते है आपको कैसा लगेगा यदि हम आपसे कहें की जिन चीजों को आप यूज करते है उनमें से अधिकांश चीजें किसी न किसी इंजीनियर की देन है। इसलिए देश के महानतम इंजीनियर रहे विश्वसरैया के जन्म दिन मतलब 15 सितंबर को इंजीनियर डे के रूप में मना कर इंजीनियरों के महत्व और उनके योगदान को सराहा जाता है।
जानिए डाॅ. मोक्षगुंडम विश्वसरैया के बारे में
एम. विश्वसरैया का जन्म कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था। उनका पूरा नाम डॉ. मोक्षगुंडम विश्वसरैया है। उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री व माता का नाम वेंकाचम्मा था। विश्वसरैया ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बंैगलुरु के सेंट्रल कॉलेज में एडमिशन लिया लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी न होने पर उन्हें ट्यूशन लेना पड़ी। इसके बाद मैसूर सरकार की मदद से उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पुणे के साइंस कॉलेज में एडमिशन मिला। पढ़ाई पूरी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया। वो विश्वसरैया ही हैं जिनके प्रयास से कृष्णा राजा सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वक्र्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण हो पाया। सन 1962 में विश्वसरैया को उनके सराहनीय कामों के बदले भारत सरकार उन्हे अपने सबसे बड़े पुरूस्कार भारत रत्न से नवाजा
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