सिलगेर के बाद नहाड़ी! बस्तर में सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच बार-बार क्यों हो रहा है संघर्ष? | Nahari after Silger! Why is there repeated conflict between security forces and villagers in Bastar?

सिलगेर के बाद नहाड़ी! बस्तर में सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच बार-बार क्यों हो रहा है संघर्ष?

सिलगेर के बाद नहाड़ी! बस्तर में सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच बार-बार क्यों हो रहा है संघर्ष?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:45 PM IST, Published Date : June 22, 2021/5:19 pm IST

रायपुर: बस्तर में पुलिस कैंपों का विरोध जारी है, बीजापुर के सिलगेर में एक महीने से ज्यादा चले संघर्ष के बाद अब दंतेवाड़ा के नहाड़ी गांव में खुल रहे कैंप का विरोध शुरू हो गया है। नींव खुदने से पहले ही हजारों की संख्या में ग्रामीण बीते 4 दिन से नहाड़ी में जुटे हैं। कैंप के खिलाफ रैली निकालकर ग्रामीणों ने ऐलान किया कि..बिना ग्राम सभा की अनुमति के कैंप नहीं लगाने देंगे। दूसरी ओर शासन-प्रशासन भी पुलिस कैंप बनाने के अभियान पर अडिग है। ऐसे में सवाल है कि बस्तर में सुरक्षाबलों और ग्रामीणों के बीच बार-बार संघर्ष क्यों हो रहा है? आखिर इस टकराव की असल वजह क्या है?

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जी हां सिलगेर विरोध की आग अभी बुझी भी नहीं है कि दंतेवाड़ा के नहाड़ी गांव में पुलिस कैंप का विरोध शुरू हो गया। पुलिस कैंप के विरोध में पिछले 4 दिन से बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट रहे हैं। सोमवार को सैकड़ो ग्रामीणों ने पुलिस कैम्प के विरोध में रैली निकाली और सरकार से कैंप की बजाए स्कूल, आंगनबाड़ी, अस्पताल, जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग करते हुए ऐलान किया कि बिना ग्राम सभा की अनुमति के कैंप नहीं लगाने देंगे।

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ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस कैंप आने के बाद जवान गश्त के दौरान खेतों में काम कर रहे, जंगल में लकड़ी लेने गए ग्रामीणों को पकड़कर नक्सली केस में जेल डाल देते हैं। महिलाओं से छेड़छाड़ करने का आरोप भी सुरक्षाबलों पर ग्रामीणों ने लगाया। हालांकि आईजी बस्तर के मुताबिक सुरक्षा कैंपों की वजह से अंदरूनी इलाकों में सड़कें बन रही हैं, जो नक्सली नहीं चाहते..इसी बौखलाहट में वो ग्रामीणों को भड़का रहे हैं।

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जाहिर है सिलगेर कैंप का विरोध कर रहे ग्रामीण एक महीने बाद हटे धरना-प्रदर्शन भले खत्म हो गया हो, लेकिन सुकमा में उनका आंदोलन अभी भी जारी है और ग्रामीण लगातार कैंप को हटाने की मांग पर अड़े हैं। नहाड़ी में ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है।

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बस्तर संभाग में लगने वाले कैंपों का विरोध पहली दफा नहीं हो रहा है। सिलगेर और नहाड़ी से पहले भी कैंपों का विरोध होता रहा है। पुलिस ग्रामीणों के विरोध को नक्सलियों का षड्यंत्र बताती आई है। विरोध के बावजूद बस्तर में CRPF, BSF, ITBP सहित अन्य फोर्सेस के 150 कैंप मौजूद है। बीते दो साल में नक्सलगढ़ में 28 नए कैंप स्थापित किए गए। आगामी एक साल के अंदर 15 और नए कैंप खोलने की तैयारी है। 

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बहरहाल सिलगेर के बाद नहाड़ी में विरोध की आग भड़कना चिंताजनक संकेत है। इस संकेत में कई सवाल छिपे हैं। मसलन क्या सिलगेर से पुलिस और सरकार ने कोई सबक नहीं लिया? इन कैंपों को लेकर जवानों और ग्रामीणों के बीच संघर्ष की असल वजह क्या है? दरअसल विकास और विश्वास के बीच सारे सवाल उलझे हुए हैं।

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