Nemavar kand latest news : कांग्रेस की मोर्चाबंदी! इस मुद्दे के जरिए आदिवासी वोटरों को अपने पाले में करना चाहती है कांग्रेस? | Nemavar kand latest news : Congress's barricade! Congress wants to make tribal voters in its side through this issue?

Nemavar kand latest news : कांग्रेस की मोर्चाबंदी! इस मुद्दे के जरिए आदिवासी वोटरों को अपने पाले में करना चाहती है कांग्रेस?

Nemavar kand latest news : कांग्रेस की मोर्चाबंदी! इस मुद्दे के जरिए आदिवासी वोटरों को अपने पाले में करना चाहती है कांग्रेस?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : July 8, 2021/6:18 pm IST

Nemavar kand latest news 

भोपाल : प्रदेश में नेमावर हत्याकांड को कांग्रेस लगातार फ्रंटफुट पर है और राज्य सरकार पर जमकर निशाना साध रही है। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ खुद पीड़ित परिवारों से मिलने पहंचे। तो अब कांग्रेस के 7 आदिवासी विधायकों ने DGP से मिलकर सीबीआई जांच की मांग दोहराई है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर कांग्रेस नेमावर की घटना को लेकर इतनी मुखर क्यों है? क्या इस मुद्दे के जरिए कांग्रेस आदिवासी वोटरों को अपने पाले में करना चाहती है?

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मध्यप्रदेश के नेमावर हत्याकांड की गूंज जल्द ही देशभर में सुनाई देगी। कांग्रेस इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की तैयारी में है। पार्टी की प्रदेश इकाई ने इसके लिए आदिवासी विधायकों को आगे कर दिया है। कांग्रेस के लिये मामला कितना ज़रुरी है ये कमलनाथ के पीड़ित परिवार से हुई मुलाकात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ दिल्ली की तमाम व्यवस्तताओं को छोड़कर नेमावर में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। अब उनके निर्देश पर ही कांग्रेस के 7 आदिवासी विधायकों ने डीजीपी से मुलाकात कर पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग फिर दोहराई है। आदिवासी विधायकों का दावा है कि सत्ता के संरक्षण में ही आरोपियों ने नेमावर में आदिवासी परिवार का नरसंहार किया है।

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कांग्रेस के आदिवासी विधायकों के तेवर से साफ है कि जब तक मामले की सीबीआई जांच नहीं होती.. तब तक न सिर्फ कांग्रेस विधायक राज्य सरकार को घेरते रहेंगे। लेकिन सवाल ये है कि कांग्रेस बीजेपी सरकार के खिलाफ तमाम बड़े मुद्दों को छोड़कर सिर्फ नेमावर हत्याकांड पर इतनी मुखर क्यों है? दरअसल मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की आबादी 22 फीसदी है और इसी आबादी की वजह से साल 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई थी। 2018 के चुनावों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 47 सीटों में से कांग्रेस को 35 सीटें मिली थीं। जबकि साल 2013 के चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ 15 सीटें मिली थी।

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जाहिर है जब कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आने को बेताब थी तब आदिवासी तबके ने जोरदार आशीर्वाद देकर उन्हें सत्ता तक पहुंचाया। अब नेमावर हत्याकांड के मामले को हवा देकर कांग्रेस अपने फर्ज की अदायगी कर रही है। लेकिन सत्ता पक्ष बीजेपी को कांग्रेस का नेमावर हत्याकांड के मामले में मुखर होना हजम नहीं हो रहा है।

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मध्यप्रदेश में सत्ता का दरवाजा प्रदेश के SC-ST की 82 आरक्षित सीटों से ही खुलता है। आंकड़ों के हिसाब से भी देखें तो 2013 में बीजेपी को SC-ST की 59 सीटें मिली थी। इन्हीं 59 सीटों की वजह से बीजेपी ने अपना तीसरा टर्म पूरा किया था। लेकिन साल 2018 के चुनावों में इस वर्ग के वोटरों ने बीजेपी के बजाए कांग्रेस पर भरोसा जाहिर किया। नतीजा ये रहा कि 51 सीटों और निर्दलीयों के सहारे कांग्रेस ने सत्ता हासिल की। हालांकि 2020 में सिंधिया के दलबदल से कांग्रेस की सरकार गिर गई। बहरहला कांग्रेस ने मिशन 2023 के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस को उम्मीद है कि दलित आदिवासियों की लड़ाई में मिलने वाला माइलेज उसे सत्ता की चौखट तक एक बार फिर जरुर ले जाएगा।

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