कृषि कानूनों का विरोध, 28 को शीत सत्र के पहले दिन आंदोलन की रणनीति, ट्रैक्टर में सवार होकर जाएंगे कांग्रेसी | Opposition to agricultural laws, movement strategy on first day of cold session on 28th

कृषि कानूनों का विरोध, 28 को शीत सत्र के पहले दिन आंदोलन की रणनीति, ट्रैक्टर में सवार होकर जाएंगे कांग्रेसी

कृषि कानूनों का विरोध, 28 को शीत सत्र के पहले दिन आंदोलन की रणनीति, ट्रैक्टर में सवार होकर जाएंगे कांग्रेसी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : December 23, 2020/5:12 pm IST

भोपाल। देश में साढ़े चौदह करोड़ पेट खेती-किसानी से ही भरता है।इनमें से 70 फीसदी छोटे किसान है।यानि इनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है।नाबार्ड की साल 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश मे हर किसान पर 1 लाख रुपए से अधिक का कर्ज है, ये हालात तब है जब केंद्र और राज्य सरकारें हर साल 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी किसानों को देती है। मौका किसान दिवस का है और देश में नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन भी जारी है।हर पार्टी खुद को किसानों का हिमायती बताने में लगी है।लेकिन आज सबसे बड़ा सवाल ये है कि आजादी के 73 साल बीत जाने के बाद ।इतनी सब्सिडी देने के बाद। कर्ज माफी, फसल बीमा जैसे फैसले के बावजूद आखिर क्यों नहीं सुधर रही किसानों की हालात।आखिर कब तक किसानो पर सिर्फ सियासत होती रहेगी।

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भोपाल के नीलम पार्क में विधानसभा सत्र से ठीक चार दिन पहले किसान दिवस पर किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसमें कांग्रेस के नेता अवनीश भार्गव भी मौजूद रहे जो बताता है कि आने वाले विधानसभा सत्र में कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में अभी से जुट गई है । कांग्रेस के सभी विधायक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर जमा होकर विधानसभा का घेराव करने निकलेंगे।ये सभी ट्रैक्टर और ट्राली के जरिए विधानसभा तक पहुंचेगे। इस पूरे आयोजन की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को सौंपी गई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सारी तैयारियों पर खुद नजर रख रहे हैं  । 28 को कांग्रेस का स्थापना दिवस भी है. लिहाजा कांग्रेस की कोशिश अपनी ताकत दिखाने की है।

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इधर बीजेपी संगठन और सरकार दोनों ही स्तर पर किसानों की नाराजगी कम करने की कोशिश में है। बीजेपी संगठन ने प्रेस कांफ्रेंस और किसान सम्मेलन के जरिए नए कृषि कानून की खासियत लोगों को बताई तो सरकार किसान हित में किए गए कामों का हवाला दे रही है। प्रशासन के स्तर पर भी आंदोलन न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है।किसान दिवस पर प्रदर्शन से पहले पुलिस ने दबाव इतना बढ़ा दिया कि कई किसान नेताओं को अंडरग्राउंड होना पड़ा। प्रदर्शन स्थल नीलम पार्क मैं भी चप्पे चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई। सरकार का दावा है कि कोरोना काल के बावजूद शिवराज सरकार ने हित में कई कदम उठाए है 82 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का लाभ किसानों को दिया गया।

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फसल बीमा योजना के तहत 8646 करोड़ का भुगतान हुआ। उद्यानिकी फसलों की 100 करोड़ की बीमा की राशि दी गई।। सहकारी बैंको की स्थिति सुधारने के लिये 800 करोड़ की राशि दी गई। 6815 करोड़ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ दिया गया।मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 3200 करोड़ रुपए का भुगतान।खेती के लिये बिजली कनेक्शन में सरकार की ओर से 14804 करोड़ का अनुदान। पिछले 8 महीने में 8000 करोड़ की सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई । जाहिर है बीजेपी हर तरीके से किसानों को अपने पाले में रखना चाहती है। 

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इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पत्र पर जवाबी पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई देते हुए कृषि मंत्री से तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। ग्वालियर में किसानों का पैसा खाकर फरार होने वाले व्यापारी बलराम के मकान की नीलामी की गई और 2 किसानों का पैसा चुकाया गया । शमशाबाद से बीजपी विधायक राजश्री रुद्रप्रताप सिंह ने उर्जा मंत्री को पत्र लिखकर किसानों को पर्याप्त बिजली मिलने की मांग की।