जहां सड़कों पर चलना मुश्किल हो, वहां दिखाए गए आसमानी सपने, अब धराशाई करने में लगेंगे करोड़ों.. देखिए | People against Sky Walk

जहां सड़कों पर चलना मुश्किल हो, वहां दिखाए गए आसमानी सपने, अब धराशाई करने में लगेंगे करोड़ों.. देखिए

जहां सड़कों पर चलना मुश्किल हो, वहां दिखाए गए आसमानी सपने, अब धराशाई करने में लगेंगे करोड़ों.. देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : May 28, 2019/5:08 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 2 साल पहले एक स्काई वॉक की योजना शुरू हुई। सरकार ने बड़े-बड़े सपने दिखाए। रायपुर में मलेशिया और जापान जैसी सुविधा देने का वादा किया गया। आनन-फानन में डेवलप भी कर दिया गया। लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा कि जिन देशों की तर्ज पर डेवलप करने की बात हो रही है वहां की सड़कें कैसी है। ट्रैफिक कैसा है। डेढ़ किलोमीटर तक क्या कोई स्काईवॉक के जरिए चलने की जहमत उठाएगा। इसका भविष्य क्या होगा। नतीजा ये हुआ कि अब इस स्काई वॉक को तोड़ने के अलावा सरकार के पास कोई उपाय नहीं है।

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राजधानी के सीने पर खड़ा लोहे और कंक्रीट का डब्बा चीख-चीखकर बता रहा है कि नासमझी में लिए गए फैसले का हश्र क्या होता है। इस एक ढांचे में सरकार के करीब 40 करोड़ रुपए स्वाहा हो चुके हैं। नेताओं और मंत्रियों का जिद कहें या फिर लापरवाही। राजधानी में जहां सड़कों पर चलना मुश्किल हो वहां लोगों को आसमानी सपने दिखाए गए।

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किसी को कुछ समझ आता उससे पहले ही आनन फानन में योजना को हरी झंडी मिल गई। बनाने का काम भी शुरू हो गया। कार्य पूरा होने के हर नई डेडलाइन के साथ खर्च में करोड़ों रुपए जुड़ते गए 49 करोड़ के शुरुआती लागत अनुमान वाले इस प्रोजेक्ट में करीब 40 करोड़ फूंक दिए गए। लोगों को जब लगा कि ये स्काईवॉक रायपुर का जीवन आसान करने की बजाए और मुश्किल करने वाला है तो विरोध शुरू हुए। विपक्ष में रही कांग्रेस पार्टी ने भी मोर्चा खोला। कई बार सड़कों पर उतरी लेकिन सरकार जिद पर अड़ी रही।

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विरोध के बावजूद किसी की एक ना सुनी गई। रमन सरकार ने दो साल में करीब 60 फीसदी प्रोजेक्ट पूरा कर दिया। लेकिन सरकार बदल गई नए सीएम ने लोगों की बात सुनी। इसका काम रोककर लोगों की राय ली गई। आईबीसी 24 भी कई बार रायपुरियन्स की राय लेने पहुंचा। ज्यादातर लोग इस प्रोजेक्ट को ना सिर्फ रोकने बल्कि तोड़ने के पक्ष में हैं। स्टेशन रोड से लेकर जयस्तंभ चौक तक सड़क के ऊपर लटकी इस आफत को लोग जल्द से जल्द हटाना चाहते हैं।

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अब तक करीब 40 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। एक कंपनी बीच में काम छोड़कर भी जा चुकी है। अभी इसे तोड़ने के लिए किसी दूसरी कंपनी को ठेका देना होगा। पैसे की जो बर्बादी हुई उसकी जांच तो होनी ही चाहिए। साथ ही भविष्य में रायपुर की ट्रैफिक व्यवस्था और दूसरी सुविधाओं को देखते हुए। इस आफत को शहर के सीने से उतारकर फेंक देने में भी भलाई है।

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