सितम्बर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य - मुख्यमंत्री डॉ. सिंह : | Power connection for every householder by Sep 2018

सितम्बर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य – मुख्यमंत्री डॉ. सिंह :

सितम्बर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य - मुख्यमंत्री डॉ. सिंह :

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : February 24, 2018/7:50 am IST

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में अपने विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पिछले 14 वर्षों में छत्तीसगढ़ में विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों में विद्युत के क्षेत्र में 28 हजार 151 करोड़ रूपए का निवेश हुआ है, जिसके फलस्वरूप राज्य विद्युत कम्पनी की उत्पादन क्षमता एक हजार 410 मेगावाट की तुलना में ढाई गुना बढ़कर तीन हजार 424 मेगावाट तक पहुंच गई है.उन्होंने कहा कि हमने विद्युत आपूर्ति का ही लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को लक्ष्य बनाकर काम किया है, जिससे छत्तीसगढ़ को सरप्लस स्टेट से लेकर जीरो पावरकट स्टेट तक की ख्याति मिली है।  सदन में चर्चा के बाद मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित 9777 करोड़ 94 लाख 17 हजार रुपए की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित कर दी गयीं। इनमें से सामान्य प्रशासन विभाग के लिए 324 करोड़ 98 लाख 10 हजार रुपए, सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए 28 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपए, वित्त विभाग से संबंधित व्यय के लिए 5494 करोड़ 53 लाख 46 हजार रुपए, जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय के लिए 52 करोड़ 75 लाख रुपए, ऊर्जा विभाग से संबंधित व्यय के लिए 2467 करोड़ 85 लाख 76 हजार रुपए, खनिज साधन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 708 करोड़ 78 लाख 79 हजार रुपए, जनसंपर्क विभाग से संबंधित व्यय के लिए 225 करोड़ 47 लाख 50 हजार रुपए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 416 करोड़ 07 लाख 84 हजार रुपए तथा विमानन विभाग के लिए 59 करोड़ 10 लाख 92 हजार रुपए की अनुदान मांगे शामिल हैं.

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    मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि अब हम क्वालिटी पावर सप्लाई में भी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली का उत्पादन और उपलब्धता के कारण प्रदेश में चार हजार 233 मेगावाट की अधिकतम मांग को पूरा करने का भी नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बेहतर प्रबंधन से वितरण हानि की दर को 40 प्रतिशत से कम कर 19 प्रतिशत लाने में सफलता प्राप्त की है। जिससे हर वर्ष उपभोक्ताओं को लगभग 1500 करोड़ रूपए का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट सेक्टर परफार्मेंस आधारित मूल्यांकन में राज्य की उत्पादन कम्पनी के विद्युत घरों को देश भर में अग्रणी होने का गौरव मिला है। राज्य उत्पादन कम्पनी संचालित संयंत्रों का पीएलएफ 72 प्रतिशत प्राप्त कर देश में चौथे स्थान पर है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में विभिन्न बिजली उत्पादकों के माध्यम से समग्र उत्पादन क्षमता चार हजार 313 मेगावाट से बढ़कर 22 हजार 851 मेगावाट हो गई है। डॉ. सिंह ने कहा कि हमने वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर भी काम किया है। हमने ’मुख्यमंत्री सौर शक्ति’ योजना प्रारंभ की है, जिससे अपने उपयोग की बिजली अपनी छत पर पैदा की जा सकती है। विद्युत पारेषण की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 14 वर्षों में राज्य में अति उच्च दाब उपकेन्द्रों की संख्या 39 से बढ़कर 97 हो गई है, वहीं अति उच्च दाब लाइन चार हजार 845 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 11 हजार 096 सर्किट किलोमीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि ये काम किसी जादू से नहीं होता, बल्कि लगातार योजना बनाकर काम करने से होता है। निरंतर सुधार के कारण पारेषण हानि चार प्रतिशत से घटकर 2.81 प्रतिशत तक हो गई है। इससे भी बिजली की उपलब्धता बढ़ी है.

 

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    मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गांव में एक बल्ब लटकाकर भी उस गांव को विद्युतीकृत घोषित कर दिया जाता था। इसके बावजूद 52 वर्षों में सिर्फ 89 प्रतिशत गांवों तक विद्युतीकरण किया जा सका था। अब विद्युतीकरण की परिभाषा बदल चुकी है। हमने मार्च 2018 तक प्रदेश के हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि मार्च 2015 की स्थिति में एक हजार 080 अविद्युतीकृत गांवों में बिजली अधोसंरचना तथा बीपीएल परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन के कार्य शेष थे, जिसमें 985 गांवों का विद्युतीकरण पूर्ण हो चुका है। शेष बचे सुकमा और बीजापुर जिले के 95 अविद्युतीकृत गांवों को मार्च 2018 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। प्रदेश के सभी मजरा-टोलों को विद्युतीकृत करने के लिए हमने 2014-15 में मुख्यमंत्री मजरा-टोला योजना शुरू की थी। प्रदेश के 71 हजार 123 बसाहटों में बिजली पहुंच चुकी है। शेष छह हजार 317 बसाहटों को सितम्बर 2018 तक विद्युतीकृत करने का लक्ष्य। प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर बिजली योजना (सौभाग्य) के तहत 832 करोड़ रूपए की लागत से अविद्युतीकृत छह लाख 24 हजार घरों में बिजली कनेक्शन प्रदान किया जा रहा है.

वेब टीम IBC24

 
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