सोनागाछी! कोलकाता की 'बदनाम' गली | Sonagachi! Kolkata's 'Badnam' street

सोनागाछी! कोलकाता की ‘बदनाम’ गली

सोनागाछी! कोलकाता की 'बदनाम' गली

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : April 17, 2021/2:04 pm IST

कोलकता। कोलकाता को वह हिस्सा जिसे दुनिया सोनागाछी के नाम से जानती है। यह एशिया का सबसे बड़े रेडलाइट एरिया भी है, आखिर इस क्षेत्र को यह नाम कैसे मिला? जबकि सोनागाछी का प्रारंभिक इतिहास भी नहीं मिलता है। सोनागाछी का मतलब होता है सोने का पेड़। इस इलाके का नाम सोनागाछी कैसे पड़ा? क्या इस इलाके में सोने के पेड़ जैसा कुछ है? जबकि सोना एक निर्जीव वस्तु और कीमती धातु है और इसका कोई पेड़ नहीं होता है, तो फिर शोभाबाजार के पास सोने का गाछ कहां से आया?

‘सोनागाछी’ यह शब्द कहीं न कहीं एक बार जरूर ​सुना होगा, कभी रसभरी चटपटी गपशप के रूप में…तो कभी दर्दभरी लड़ियों जैसी दुखांत कहानियों की तरह, यहां की 10 बाई 10 की खोलियों से कराह और ठहाकों के स्वर एक साथ निकलते हैं, इन स्वरों के अपने-अपने मायने हैं, किसी के लिए ये शुद्ध मनोरंजन है, जहां रकम के बदले एक सौदा है…तो किसी के लिए ये जिल्लत और जिंदगी की कहानी है, जहां घोर अंधकार है।

सोनागाछी के इस विरोधाभास को फिल्म चांदी की दीवार के एक गीत में नगमा निगार साहिर लुधियानवी ने बड़े दर्द के साथ पेश किया हैं, इस रचना में दुनिया से उनकी शिकायत है, मोहम्मद रफी इस गीत को जब स्वर देते हैं तो सोनागाछी अपनी रौ में अपनी पहचान के साथ सामने आ जाता है।

ये दुनिया दो रंगी है
एक तरफ से रेशम ओढ़े, एक तरफ से नंगी है
एक तरफ अंधी दौलत की पागल ऐश परस्ती
एक तरफ जिस्मों की कीमत रोटी से भी सस्ती
एक तरफ है सोनागाछी, एक तरफ चौरंगी है
ये दुनिया दो रंगी है

300 साल से भी पुराने हुगली नदी के तट पर बसे कोलकाता शहर की कई चीजें बहुत अहम हैं जैसे कि रसगुल्ला, हिल्सा मछली, गीत संगीत, फिल्म, क्रांति, हस्तियां आदि, लेकिन कोलकाता से जुड़ी एक और भी चीज फेमस है, जिसका नाम दबी जुबान से लिया जाता है, कोने में, यार दोस्तों की महफिल में, ये नाम है सोनागाछी। दबी जुबान से इसलिए क्योंकि सोनागाछी रेडलाइट एरिया है। दरअसल, लाल रंग जन जीवन में खतरे का संकेत होता है, हमें रुकने और सोचने का इशारा करता है।

‘सोनागाछी’ एशिया का सबसे बड़ा देह व्यापार का केंद्र है, एक अनुमान के मुताबिक करीब 10000 से ज्यादा सेक्स वर्कर यहां काम करती हैं, हर उम्र…हर क्षेत्र और धर्म की लड़कियां यहां उस धंधे से जुड़ी हैं, जिसकी चर्चा करते हुए हमारा समाज मुंह टेढ़ा कर लेता है, यानि इसे अच्छा नहीं कहता, बावजूद इसके इस इलाके की मौजूदगी को लेकर सरकारों और शासन में एक तरह की स्वीकारोक्ति है, इन्हें यहां से कोई हटा नहीं सकता है।इसलिए ये बस्ती सालों से मौजूद है, उत्तरी कोलकाता के शोभाबाजार के नजदीक स्थित चितरंजन एवेन्यू में मौजूद इलाके को लोग कई सौ सालों से सोनागाछी के नाम से जानते आए हैं।

दरअसल किवंदतियां हैं कि एशिया के सबसे बड़े रेडलाइट का नाम एक मुस्लिम वली (संत) के नाम पर पड़ा है, 300 साल पहले जब कोलकाता बसा था तब हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित ये क्षेत्र व्यापार का बड़ा केंद्र था। इतिहासकार पीटी नायर की किताब ‘A history of Calcutta’s streets’ के अनुसार इस इलाके में सनाउल्लाह नाम का एक खूंखार डकैत अपनी मां के साथ रहा करता था। कुछ दिन बाद उस डकैत की मौत हो गई, एक दिन सनाउल्लाह की रोती हुई मां ने अपनी झोपड़ी से एक आवाज सुनी, झोपड़ी से आवाज आ रही थी, “मां तुम मत रो…मैं एक गाजी बन गया हूं, इस तरह निकला सनाउल्लाह से सोना गाजी का लेजेंड यानी कि किंवदंती।

जल्द ही कथा आस-पास फैलने लगी, इस झोपड़ी में लोग पहुंचने लगे और इबादत करने लगे, यहां आकर कथित रूप से लोग बीमारियों से चंगे होने लगे, कहते हैं लोगों को यहां रुहानी एहसास होता था, इस तरह से कालांतर में किंवदंतियों में डकैत सनाउल्लाह को कथित रूप से संतत्व प्राप्त हुआ। इतिहासकार नायर कहते हैं कि सनाउल्लाह की मां ने अपने बेटे की याद में यहां एक सुंदर मस्जिद बनवा दी, इसे सोना गाजी के मस्जिद के नाम से जाना जाने लगा, कुछ दिन के बाद सनाउल्लाह की मां की मौत हो गई, इसके बाद इस मस्जिद की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा और धीर-धीरे लंबे कालखंड के बाद ये मस्जिद पूरी तरह से गायब हो गई, इस मस्जिद की वजह से पड़ोस के इलाके का नाम मस्जिद बाड़ी पड़ा, जबकि सनाउल्लाह गाजी बदलकर सोना गाजी हुआ और फिर बदलते-बदलते सोनागाछी हो गया।

हालांकि सोनागाछी का प्रारंभिक इतिहास नहीं मिलता है, इस बात की भी सही जानकारी नहीं है कि कैसे सोनागाछी एक रेडलाइट एरिया में बदल गया, लेकिन कोलकाता शहर पर पिछले 30 सालों से लिखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार उन परिस्थितियों की ओर इशारा करते हैं जिससे यहां देह व्यापार पनपा है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार सोनागाछी ओल्ड पिलग्रिम रोड पर है जिसे अब रबींद्र सारणी के नाम से जाना जाता है, ये इलाका बड़े बाजारों का केंद्र रहा है, अंग्रेजों के यहां आने से पहले भी यहां व्यावसायिक गतिविधियां होती थीं, व्यापारी पानी के जहाज से आते थे, इनमें पुर्तगाल और अर्मेनिया के तिजारती प्रमुख थे, यहां मजदूर काम करते थे और लोगों की भीड़ जमा होती थी।

पत्रकार की माने तो कोई भी जगह बड़ी संख्या में व्यापारी/सैलानी आते हैं, जहां रुपया पैसा, माल असबाब पैदा होता है, जो व्यवसाय का बड़ा केंद्र है वहां रेड लाइट एरिया का पनपना बहुत आसान है, कभी सोनागाछी के देह व्यापार को नामी बंगाली परिवार चलाते थे, आज इन जर्जर कोठों को किराए पर दिया जाता है, यहां सनाउल्लाह की दरगाह आज भी है, ये कई बार टूटी और कई बार इसकी मरम्मत की गई, दुर्भाग्यवश इस दरगाह पर सनाउल्लाह की मौत की तारीख नहीं लिखी हुई है।

ये इलाका कोलकाता जिले के श्यामपुकुर विधानसभा सीट में आता है, हालांकि साल भर से चल रहे कोरोना के कहर ने सोनागाछी की रंगत फीकी कर दी है, चुनाव में यहां थोड़ी हलचल बढ़ी है, इस क्षेत्र में इस बार 29 अप्रैल को चुनाव है, 2016 के चुनाव में यहां टीएमसी की डॉ शशि पांजा ने जीत हासिल की थी। इस बार भी टीएमसी से शशि पांजा ही उम्मीदवार है। सोनागाछी की बस्ती चुनाव और देश-दुनिया के दूसरे घटनाक्रम से इतर अपनी लय में चलती जा रही है, यहां कई सालों से हर शाम रौशन होती आ रही है।

 
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