छलका युवराज सिंह का दर्द, कहा- टीम इंडिया में रहकर देश को दो वर्ल्ड कप दिलाया, लेकिन घर पर हुआ पथराव | yuvraj singh says i won 2 world cup for india but people throw stone at my house

छलका युवराज सिंह का दर्द, कहा- टीम इंडिया में रहकर देश को दो वर्ल्ड कप दिलाया, लेकिन घर पर हुआ पथराव

छलका युवराज सिंह का दर्द, कहा- टीम इंडिया में रहकर देश को दो वर्ल्ड कप दिलाया, लेकिन घर पर हुआ पथराव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : May 20, 2020/12:11 pm IST

नई दिल्ली: ‘युवराज सिंह’ टीम इंडिया का वो खिलाड़ी, जिसका नाम जेहन में आते ही 6 गेंदों में 6 छक्के का इतिहास याद आ जाता है। जी हां टीम इंडिया के वो स्टार खिलाड़ी, जिसने दो-दो वर्ल्ड कप जिताए। इस खिलाड़री के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। हालांकि लंबे समय तक टीम से बाहर रहने के बाद युवराज सिंह ने जून 2019 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। वहीं, सोशल मीडिया पर युवराज सिंह लगातार एक्टिव रहते हैं। लॉकडाउन में भी युवराज सिंह अपनी पत्नी हेजल कीच के साथ समय बिता रहे हैं।

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युवराज सिंह रविवार को इंस्टाग्राम पर एक लाइव सेशन कर रहे थे और इसी दौरान उनसे साल 2014 टी20 वर्ल्ड कप सवाल पूछा गया। इस टूर्नामेंट में भारत फाइनल में श्रीलंका से हार गया था। इस प्रश्न का जवाब देते हुए युवराज सिंह का दर्द छलक गया। युवराज ​सिंह ने 2014 टी20 वर्ल्ड कप को लेकर कहा कि उन्होंने उस हार की पूरी जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने कहा कि 2014 टी20 वर्ल्ड कप में मैंने खराब खेला था और मैंने उसकी पूरी जिम्मेदारी ली थी। विराट कोहली और धोनी भी उस दिन जूझ रहे थे। मलिंगा की यॉर्कर एकदम सटीक थी। हर खिलाड़ी के करियर में ऐसा दिन आता है, वो मेरा खराब दिन था और दुर्भाग्यवश उस दिन टी20 वर्ल्ड कप फाइनल था।

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युवराज सिंह ने आगे बताया कि जब वे मैच खेलकर भारत लौटे तो एयरपोर्ट पर ही उन्हें घेर लिया गया, लोग उन्हें उल्टी सिधी बातें कह रहे थे। मेरे घर पर पत्थर भी फेंके गए। मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं कोई अपराधी हूं। जैसे मैंने किसी को गोली मार दी है। उस दिन मुझे लगा कि मेरा करियर खत्म हो गया है। लेकिन मैंने वहां से वापसी की। हम टी20 वर्ल्ड कप 2007 जीते, 2011 वर्ल्ड कप जीते. इनका श्रेय हमें मिला लेकिन मुझे लगता है कि जब आप हारते हैं तो विरोध ज्यादा होता है।

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2003 वर्ल्ड कप को लेकर युवराज सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ पहले ही मैच में वे काफी दबाव महसूस कर रहे थे। उन्हें रातभर नींद नहीं आई थी। हम 2003 वर्ल्ड कप से पहले पाकिस्तान के खिलाफ मैच नहीं खेले थे. पाकिस्तान की जबर्दस्त टीम थी। शोएब अख्तर, वकार यूनुस, वसीम अकरम, अब्दुल रज्जाक जैसे गेंदबाज उनकी टीम में थे। मैं ये सोचकर एक रात पहले सो नहीं पाया। फिर मैच में मैं तब गया जब सचिन शोएब अख्तर की बाउंसर पर 98 रन बनाकर आउट हुए। सोचिए मेरे जहन में क्या चल रहा होगा। अख्तर की पहली गेंद तो मेरे बल्ले पर खुद ही लग गई। दूसरी गेंद 155 किमी./घंटा से तेज थी और उसपर मैंने चौका लगाया। फिर मैं राहुल द्रविड़ के साथ क्रीज पर जम गया। वो काफी दबाव भरा मुकाबला था।

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युवराज सिंह ने आगे बताया कि साल 2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जो उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली थी वो बेहद खास थी। 2011 में मेरी तबीयत खराब थी। हालात मुश्किल थे। ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी भी मजबूत थी। ब्रेट ली, शॉन टेट, मिचेल जॉनसन जैसे गेंदबाज थे। धोनी के आउट होने के बाद मैं क्रीज पर गया। मैंने अंदर जाकर सोचा कि हवा में शॉट नहीं खेलूंगा, फिर रैना ने जब ब्रेट ली की गेंद पर छक्का जड़ा, तब वहां से मैच बदल गया। ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद हमें लगा कि हां हम वर्ल्ड कप जीत सकते हैं और वैसा ही हुआ।

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