सत्ता में रहने और सत्ता से दूरी के पांच हजार दिन - by Praful pare | Five thousand days of stay in power and distance from power

सत्ता में रहने और सत्ता से दूरी के पांच हजार दिन – by Praful pare

सत्ता में रहने और सत्ता से दूरी के पांच हजार दिन - by Praful pare

:   Modified Date:  November 28, 2022 / 09:45 PM IST, Published Date : August 17, 2017/11:56 am IST

प्रफुल्ल पारे 

छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री डाक्टर रमन सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री पांच हजार दिन पूरे कर लिए. जिस भारतीय जनता पार्टी से वे आते हैं उस पार्टी के वे पहले नेता हैं जिनके नाम पर यह कामयाबी दर्ज हो रही है. रमन सिंह खुद एक क्रिकेट के खिलाड़ी हैं इसलिए वो जानते होंगे कि इतने लम्बे समय तक क्रीज पर टिके रहना कितना कठिन काम है. बात केवल टिके रहने की नहीं है क्रीज पर रहकर परफॉर्म करने की भी है.या ऐसा कह लीजिये कि लम्बे समय तक खेलने के लिए धैर्य के साथ मारक क्षमता को बनाये रखना एक अच्छे बल्लेबाज की निशानी होती है और रमन सिंह भाजपा के ऐसे ही बल्लेबाज साबित हुए हैं. यहाँ क्रिकेट की भाषा का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि रमन सिंह अपने जमाने में माध्यम गति के तेज गेंदबाज हुआ करते थे और क्रिकेट में तेज गेंदबाज को हार्ड हिटर भी माना जाता है और उनकी विरोधी टीम कांग्रेस  के नेता विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव भी क्रिकेट के खासे जानकार हैं।


सत्ता के इन पांच हजार दिनों में इक्का दुक्का आरोपों को छोड़ दें तो राज्य का शक्तिशाली विपक्ष भी उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं कर पाया. विपक्ष को शक्तिशाली मै इस मायने में कह रहा हूँ क्योंकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए एक ऐसा राज्य है जहाँ कांग्रेस हर बार किनारे पर आकर ढेर हो जाती है.या यूँ समझ लीजिये कि माइनस मार्किंग का शिकार हो जाती है. 

रमन सिंह भाजपा के दुसरे मुख्यमंत्रियों से अलग इसलिए भी हैं क्योंकी उन्होंने कांग्रेस के एक मजबूत किले में सेंध लगाई और बहुत नजदीकी मुकाबलों में भाजपा के माथे पर जीत का सेहरा बांधा है।

 
अविभाजित मध्यप्रदेश में मालवा,निमाड़,चम्बल,बुंदेलखंड और महाकौशल ऐसे क्षेत्र रहे हैं जहाँ भाजपा ने न केवल अपनी जमीन बनाई बल्कि कांग्रेस को सत्ता के जादुई आंकड़े से कोसों दूर पटक दिया लेकिन छत्तीसगढ़ के राजनीतिक हालात भाजपा के पक्ष में कभी नहीं रहे. पिछले कई चुनाव इस बात के गवाह हैं कि अविभाजित मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकारों को छत्तीसगढ़ ने ही टेका लगाया। राज्य बनने के बाद हुए पहले चुनाव से भाजपा ने रमन सिंह के नेतृत्व में जीत का जो सिलसिला शुरू किया वो अब तक जारी है.कोई भी राजनीतिक विश्लेषक रमन सिंह की पांच हजार दिनों की ऐतिहासिक पारी के बाद भी भरोसे के साथ यह नहीं कह सकता कि 2019 के चुनावी युद्ध में रमन सिंह की विजय यात्रा थम जायेगी।
 

अब रमन सिंह के नेतृत्व और पार्टी के  उन पर भरोसे की बात कर ली जाए. राज्य बनने के बाद सरकार कांग्रेस की बनी.अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बने और जब 2003 के पहले चुनाव में कांग्रेस मैदान में उतरी तो उसे चुनौती भाजपा से कम अपनी ही पार्टी के दिग्गज बागी नेता दिवंगत विद्याचरण शुक्ल से ज्यादा मिली. नतीजा कांग्रेस सत्ता से बाहर. उसके बाद रमन सिंह लगातार भाजपा की झोली में जीत डालते रहे.आज रमन सिंह भाजपा का निर्विवाद चेहरा है इसे दागदार बनाने की कोशिश हुई भी और हो भी रही है लेकिन ये उनके पांच हजार दिन की पारी में बाउंसर गेंदों से ज्यादा मायने नहीं रखते क्योंकि एक अच्छा बल्लेबाज बाउंसर से बचना भी जानता है।


वहीँ दूसरी ओर इन पांच हजार दिनों में कांग्रेस आपस की लड़ाई में इतनी उलझी रही कि उसका शीर्ष नेतृत्व भी कांग्रेस में एका नहीं ला पाया.इससे एक बात तो साबित हुई की प्रदेश का एक भी कांग्रेस का नेता अपने हाईकमान का भरोसा नहीं जीत पाया और हाईकमान भी राज्य के किसी नेता पर भरोसा नहीं कर पाया.रमन सिंह की इन पांच हजार दिनों की पारी के दौरान तीन चुनाव भी हुए और छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस के अंक भी कम नहीं किये लेकिन कांग्रेस फिर माइनस मार्किंग का शिकार हुई. अगर रमन सिंह ने सत्ता में रहने के पांच हजार दिन पूरे किये हैं तो कांग्रेस ने भी सत्ता से बाहर रहने के पांच हजार दिन पूरे किये हैं. पांच हजार दिन की लम्बी पारी के बाद रमन सिंह और उनकी पार्टी अगले साल पूरे दमखम से मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है और वहीँ कांग्रेस भी अपनी पार्टी में प्राण फूंकने की दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन आज से पांच हजार दिन पहले की तस्वीर फिर ताज़ा है बस पात्र बदल गए हैं दिवंगत विद्याचरण शुक्ल की जगह अब अजीत जोगी सामने खड़े हैं।

भविष्य की राजनीतिक तस्वीर तो कोई जानता पर इतना तय है कि कांग्रेस को रमन सिंह को और लम्बा स्कोर बनाने से रोकना है तो मैदान में तगड़ी फील्डिंग और कसी हुई गेंदबाजी करनी होगी क्योंकि बल्लेबाज की आँखें क्रीज पर सेट हो गई है और फालोआन खेल रही कांग्रेस के लिए कोई भी चूक का मतलब चौथे टेस्ट में भी पारी से हार।