Indira Ekadashi of Pitru Paksha will be celebrated on this day

Ekadashi 2023 date: इस दिन मनाई जाएगी पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी, जानिए क्या है इसका शुभ मुहूर्त और महत्व

Ekadashi 2023 date: इस दिन मनाई जाएगी पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी, जानिए क्या है इसका शुभ मुहूर्त और महत्व

Edited By :   Modified Date:  October 4, 2023 / 11:48 AM IST, Published Date : October 4, 2023/11:48 am IST

Ekadashi 2023 date : हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है और माना जाता है कि एकादशी पर भगवान विष्णु  की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। साल में तकरीबन 24 एकादशी पड़ती है। मान्यता यह भी है कि एकादशी व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन को सुखमय बनाने में कारगर होता है। लेकिन इस बार एकादशी पितृ पक्ष में पड़ रही है और पितृ पक्ष में पड़ने वाला एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। जिसको एकादशी श्राद्ध भी कहा जाता है। इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है तो जानिए इसे कब और किस तरह मनाया जाता है कैसे की जाती है भगवान विष्णु का पूजा।

इंदिरा एकादशी कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 9 अक्टूबर, सोमवार दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसकी समाप्ति अगले दिन दोपहर 3 बजकर 8 मिनट पर होगी। इसके चलते उदया तिथि के अनुसार, 10 अक्टूबर को  मंगलवार के दिन ही इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

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इंदिरा एकादशी के दिन व्रत का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। पूजा का दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 1 बजकर 35 मिनट तक होने वाला है। इसके बाद दोपहर 3 बजकर 3 मिनट से शाम साढ़े चार बजे तक पूजा का अगला शुभ मुहूर्त पड़ रहा है। पितृ पक्ष में जो इंदिरा एकादशी मनाई जाती है उस एकादशी का बहुत ही विशेष धार्मिक महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इस विधि से करें इंदिरा एकादशी की पूजा 

Ekadashi 2023 date : इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु  का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। भक्त पूजा करने के लिए घर के मंदिर में पूजा करने के लिए श्रीहरि की प्रतिमा पर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करते हैं। भगवान विष्णु  के समक्ष फूल और तुलसी दल अर्पित कर आरती करने के पश्चात भोग लगाया जाता है। इस भोग को प्रसाद रूप में सभी को बांटते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करना भी इस दिन शुभ माना जाता है।

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