महाशिवरात्रि के दिन इस शुभ मुहूर्त पर करें रुद्राभिषेक, महादेव को प्रसन्न करने के लिए ऐसा करें पूजा
Rudrabhishek is special on Mahashivratri हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
Mahashivratri ki raat kyu jaagte hai
Rudrabhishek is special on Mahashivratri: भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की आराधना का महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर जो भक्त सच्चे मन से भगवान शंकर के साथ महागौरी, भगवान गणेश, कार्तिकेयजी और नंदी की पूजा करते है उन्हें शिवपरिवार में शामिल के पांचों देव सुख समृद्धि वैभव, यश, लंबी उम्र देते है। इसलिए हम आपको इस महाशिवरात्रि पर इन पांचों की पूजा और रुद्राभिषेक के बारे में विशेष रुप से बताने जा रहे है ताकि आपको ये सारे सुख प्राप्त हो।
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सबसे पहले भगवान गणेश जी की करें पूजा
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी अनादि देवता मानें गए हैं। गणेश जी भले ही भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र थे। लेकिन वो वह अनादि गणपति के अवतार माने गए हैं। इसलिए भगवान गणपति की पूजा शंकर और पार्वती जी के विवाह में हुई थी, जिसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास जी के इस दोहे में मिलता है। इसलिए इस महाशिवरात्रि में गणेशजी की पूजा के साथ महाशिवरात्रिपर भगवान गणेश जी का आशिर्वाद ले।
भगवान कार्तिकेय दुश्मनों पर दिलाएंगे जीत
इस महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के साथ भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। भगवान कार्तिकेय की पूजा से सेहत और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं, इसलिए दुश्मनों पर जीत के लिए भी इनकी पूजा की जाती है।
शिव-गौरी देंगे खुशियों का वरदान
इस महाशिवरात्रि पर शिव के साथ गौरी का विशेष संयोग बन रहा है। ऐसा शुभ संयोग कई साल बाद बना है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए और व्रत भी रखना चाहिए। इस दिन विधिपूर्वक रुद्राभिषेक करने से कई ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में अपार सुख-समृद्धि आती है। वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
अब गणेश जी, माता गौरी, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा करें। फिर शिव चालीसा और शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें। किसी मंत्र विशेष का जाप करना चाहते हैं, तो रुद्राक्ष की माला से शुद्ध उच्चारण के साथ कम से कम 108 बार करें।
पूजा के अंत में शिव जी की आरती करें। इसके लिए घी के दीपक या फिर कपूर का उपयोग करें। आरती के समय शंख और घंटी बजाते रहें। आरती के दीपक को पूरे घर में ले जाएं। ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का समय
Rudrabhishek is special on Mahashivratri: महाशिवरात्रि के अवसर पर तंत्र, मंत्र साधना, तांत्रिक पूजा, रुद्राभिषेक करने के लिए रात्रि 12 बजकर 24 मिनट से 1 बजकर 40 मिनट तक का समय श्रेष्ठ रहेगा। वहीं भक्तों के लिए सुबह 5 बजकर 55 मिनट से पूरे दिन भगवान भोलनाथ का रुद्राभिषेक और जल चढ़ाने का सिलसिला जारी रहेगा। सामान्य गृहस्थ को शुभ और मनोकामना पूर्ति के लिए सुबह और संध्या काल में शिव की आराधना करनी चाहिए।
देवों के देव महादेव करेंगे मालामाल, कामनाएं होगी पूर्ण
– जल से रुद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है।
– कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है।
– दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
– गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
– मधुयुक्त जल से अभिषेक करने पर धनवृद्धि होती है।
– तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
– इत्र मिले जल से अभिषेक करने से रोग नष्ट होते हैं।
– दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होगी। प्रमेह रोग की शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
– गंगा जल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है।
– दूध-शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।
– घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होता है।
– सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।
– शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय होते हैं।

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