बजाज ने दास के खिलाफ एनसीडब्ल्यू में शिकायत की, फीफा और एएफसी से भी जांच की मांग की |

बजाज ने दास के खिलाफ एनसीडब्ल्यू में शिकायत की, फीफा और एएफसी से भी जांच की मांग की

बजाज ने दास के खिलाफ एनसीडब्ल्यू में शिकायत की, फीफा और एएफसी से भी जांच की मांग की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : May 5, 2022/5:45 pm IST

… अभिषेक होरे…

नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) उद्यमी रंजीत बजाज ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के महासचिव कुशल दास के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज करने के अलावा फीफा और एएफसी (एशियाई फुटबॉल परिसंघ) की आचरण समितियों को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि इस शीर्ष अधिकारी ने कार्यस्थल पर कर्मचारियों का यौन उत्पीड़न किया था। बजाज ने इन गंभीर आरोपों की जांच के लिए विश्व फुटबॉल शासी निकाय फीफा और एएफसी की  स्वतंत्र समीक्षा समिति से अनुरोध किया है। उन्होंने इस मामले में सबूत के लिए एआईएफएफ से उनसे संपर्क नहीं किये जाने को लेकर गुरुवार को सवाल उठाया। मिनर्वा पंजाब टीम के पूर्व मालिक ने कहा, ‘‘ एनसीडब्ल्यू ने शिकायत दर्ज कर ली है। प्रारंभिक जांच पूरी करने के बाद मामले का जांच अधिकारी मुझसे संपर्क करेगा।’’ बजाज के आरोपों के बाद महासंघ के नैतिकता अधिकारी ने दास को ‘क्लीन चिट ’ देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये आरोप घिनौने और सच्चाई से परे हैं बजाज के द्वारा लगाये आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद एआईएफएफ और उसकी आंतरिक शिकायत समिति की प्रमुख ज्योत्सना गुप्ता ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया था। खेल निकाय के आचरण अधिकारी जावेद सिराज ने दास को आरोपों से बरी कर दिया, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में इसे ‘ घिनौने और सच्चाई से परे’ करार दिया। बजाज ने आरोप लगाया, ‘‘ ज्योत्सना गुप्ता उनकी (दास की) निजी सचिव भी हैं ऐसे में वह जांच कैसे कर सकती हैं। मेरे ट्वीट के आधे घंटे के भीतर उन्होंने अपने ‘बॉस’ को पाक-साफ घोषित कर दिया।’’ फीफा की आचार समिति के अध्यक्ष को भेजे पत्र में बजाज ने लिखा, ‘‘ एआईएफएफ ने आरोपों की जांच करने के बजाय, बिना किसी प्रक्रिया के महासचिव को ‘क्लीन चिट’ दे दी है, जिसने मुझे यह पत्र लिखने के लिए मजबूर किया है, जिससे आपकी समिति कुशल दास के खिलाफ यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के आरोप की निष्पक्ष जांच कर सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह चौंकाने वाली बात है कि मेरे ट्वीट के आधार पर संज्ञान लेने के बाद भी नैतिकता अधिकारी ने आरोपों के बारे में पूछने के लिए मुझे फोन तक नहीं किया जो कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है’’ भाषा आनन्द नमितानमिता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)