34 की उम्र में और दो साल के प्रतिबंध के बाद वापसी करना कोई मजाक नहीं: पूवम्मा |

34 की उम्र में और दो साल के प्रतिबंध के बाद वापसी करना कोई मजाक नहीं: पूवम्मा

34 की उम्र में और दो साल के प्रतिबंध के बाद वापसी करना कोई मजाक नहीं: पूवम्मा

:   Modified Date:  May 6, 2024 / 10:08 PM IST, Published Date : May 6, 2024/10:08 pm IST

(फिलेम दीपक सिंह)

नई दिल्ली, छह मई (भाषा) बहामास में सोमवार को पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारतीय महिला चार गुणा 400 मीटर रिले टीम की सबसे सीनियर सदस्य एमआर पूवम्मा ने कहा कि दो साल के प्रतिबंध के बाद 34 की उम्र में वापसी करना कोई मजाक नहीं है और वह एक उदाहरण स्थापित करना चाहती हैं कि अगर शरीर साथ दे तो उम्र मायने नहीं रखती।

विश्व एथलेटिक्स रिले की हीट (शुरुआती रेस) में दूसरे स्थान पर रहते हुए पेरिस खेलों में जगह बनाने वाली भारतीय टीम की सबसे सीनियर सदस्य पूवम्मा को 2021 में डोपिंग अपराध के लिए दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। उन्होंने पिछले साल प्रतियोगिताओं में वापसी की।

पूवम्मा ने बहामास की राजधानी नासाउ से पीटीआई से कहा, ‘‘मैं यह साबित करना चाहती थी कि मैं अब भी रिले टीम की मुख्य सदस्य हूं और मैं अब भी ऐसा कर सकती हूं। यहां तक ​​कि उम्र भी मायने नहीं रखती। मैं एक उदाहरण स्थापित करना चाहती थी। इस स्तर पर मेरी वापसी बहुत संतोषजनक रही और मैं बहुत खुश हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सब कुछ हासिल कर लिया है, मेरे पास एशियाई खेलों के पदक हैं, मैं चार बार विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हूं और मैं दो बार ओलंपिक में खेली हूं। प्रतिबंध के कारण मैं तोक्यो ओलंपिक में नहीं जा सकी। यह मेरे हाथ से फिसल गया।’’

अगले महीने 34 बरस की होने वाली पूवम्मा ने कहा, ‘‘इसलिए मुझे एक और ओलंपिक में भाग लेना होगा और अगर मेरा शरीर मेरा साथ दे रहा है तो मुझे खेल क्यों छोड़ना चाहिए। कुछ विदेशी एथलीट 35 या 37 साल की उम्र तक दौड़ते हैं। इसलिए मैं अन्य एथलीटों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहती थी कि उम्र मायने नहीं रखती। इसलिए मैंने ऐसा किया।’’

गोवा राष्ट्रीय खेलों के दौरान उनकी वापसी बिना किसी बाधा के नहीं हुई क्योंकि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने कहा कि उन पर लगे प्रतिबंध की अवधि समाप्त नहीं हुई है। लेकिन नाडा के डोपिंग रोधी अपील पैनल (एडीएपी) ने केरल उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अपने पहले के फैसले की समीक्षा की और आखिरकार उनके पक्ष में वापसी की तारीख तय की।

पूवम्मा खुश और राहत महसूस कर रही हैं कि जब उन पर प्रतिबंध लगाया गया तो उन्होंने खेल नहीं छोड़ा, हालांकि वह मानसिक रूप से टूट गई थीं और उस कठिन समय में अभ्यास के दौरान रोई थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘केवल मैं और मेरा परिवार ही जानता है कि उन दो-तीन वर्षों में क्या हुआ। सभी को उम्मीद थी कि मैं संन्यास ले लूंगी लेकिन मैं वापसी करना चाहती थी। मैंने सब कुछ हासिल किया लेकिन प्रतिबंधित होने के बाद मैंने कभी संन्यास को विकल्प के रूप में नहीं रखा।’’

पूवम्मा ने कहा, ‘‘मैं कुछ करके खेल छोड़ना चाहती थी। मेरे पति ने मेरा बहुत साथ दिया और वे कोच गेलिना (बुखारिना) द्वारा भेजी गई ट्रेनिंग पर ध्यान दे रहे थे। बिना किसी प्रतियोगिता के तीन साल और वापसी करना आसान नहीं था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिबंध के दौरान मैं मानसिक रूप से पूरी तरह टूट गई थी लेकिन मैं फिर से दौड़ना चाहती थी, छोड़ना नहीं चाहती थी। मेरे साथ कुछ बुरा हुआ और मुझे नहीं पता कि यह घटना कैसे हुई लेकिन एएफआई जानता है कि मैं क्या हूं।’’

उन्होंने कहा कि जब तक उनका शरीर अनुमति देगा वह दौड़ना जारी रखेंगी।

भाषा सुधीर आनन्द

आनन्द

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)