नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आगामी तोक्यो पैरालंपिक में मिश्रित युगल बैडमिंटन स्पर्धा के लिए अर्जुन पुरस्कार विजेता पैरा शटलर राज कुमार के चयन में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ‘‘मैं उसे निराश नहीं करना चाहती, लेकिन मैं उसकी मदद नहीं कर सकती। आप एकल (स्पर्धा) में भाग ले रहे हैं। इसे अनावश्यक रूप से मुद्दा ना बनायें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं। आप जो करेंगे, देश उसकी सराहना करेगा।’’
राज कुमार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सन्नी सिंगला को जब यह महसूस हुआ कि अदालत उनकी याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं है, तो उन्होंने याचिका वापस ले ली।
भारतीय बैडमिंटन संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि चयन प्रक्रिया में ना तो उनके मुवक्किल और ना ही भारतीय पैरालंपिक समिति की कोई भूमिका है क्योंकि खिलाड़ी का चयन क्वालीफाइंग स्पर्धाओं में उसके प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
कोहली ने कहा कि चूंकि कुमार प्रतियोगिताओं के आधार पर जगह बनाने में असफल रहे थे, इसलिए उनका नाम द्विपक्षीय (बाइपार्टाइट) कोटा के लिए भेजा गया था जिसे अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों ने खारिज कर दिया था।
कुमार ने अपनी याचिका में मांग की थी कि चयनित उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम शामिल करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये जाये।
उन्होंने तर्क दिया कि मिश्रित युगल बैडमिंटन स्पर्धा के लिए भारत के चयन पैनल की पैरालंपिक समिति ने रैंकिंग में 31वें स्थान पर काबिज प्रमोद भगत और पलक कोहली की जोड़ी का चयन करने से उनके साथ अन्याय हुआ था।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि चयन समिति ने तोक्यो पैरालंपिक के लिए छठे स्थान पर काबिज राज कुमार और पारुल दलसुखभाई परमार की जोड़ी को मनमाने ढंग से नजरअंदाज किया।
भाषा आनन्द सुधीर
सुधीर
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