धोनी की किस्मत बदलने में इस पूर्व खिलाड़ी का बड़ा योगदान, प्रतिभा को देख सभी नियमों को कर दिया था दरकिनार | This former player's big contribution in changing the fortunes of Dhoni Seeing the talent, all the rules were set aside

धोनी की किस्मत बदलने में इस पूर्व खिलाड़ी का बड़ा योगदान, प्रतिभा को देख सभी नियमों को कर दिया था दरकिनार

धोनी की किस्मत बदलने में इस पूर्व खिलाड़ी का बड़ा योगदान, प्रतिभा को देख सभी नियमों को कर दिया था दरकिनार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:04 PM IST, Published Date : April 8, 2020/3:36 am IST

खेल । दिलीप वेंगसकर ने बीते सोमवार को अपना 64वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर दिलीप वेंगसरकर ने कहा, ‘जब मैं पीछे देखता हूं तो काफी अच्छा और संतोषजनक सफर रहा। भारत के लिए 116 टेस्ट खेलना सबसे बड़ा संतोष है। इसके अलावा 129 वनडे, विश्व कप जीतना और विश्व चैंपियनशिप जीतना, इसके साथ भारत की कप्तानी, यह शानदार सफर रहा.’

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दिलीप वेंगसरकर को भारत में क्रिकेट प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें मौका देने के मामले में सबसे अच्छे चयनकर्ताओं में गिना जाता है। विश्वकप विजेता टीम के हिस्सा रहे दिलीप वेंगसरकरइस के चयन समिति के अध्यक्ष के तौर पर 2006 से 2008 का कार्यकाल आने वाले चयनकर्ताओं के लिए एक पैमाना बना, क्योंकि उनके चयनकर्ता रहते हुए महेंद्र सिंह धोनी कप्तान बने और उन्होंने विराट कोहली के चयन का पक्ष लिया था।

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64 वें जन्मदिवस के अवसर पर दिलीप वेंगसरकर ने पीटीआई से कहा, ‘प्रतिभा को परखना मेरा काम था। आप प्रतिभा को परखने में अच्छे हो सकते हैं, लेकिन अगर कोई प्रतिभावान है तो उसे मौका मिलना चाहिए.’। दिलीप वेंगसरकर का मानना है कि वह चयन समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने काम में इसलिए सफल रहे, क्योंकि वह बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के प्रतिभा अनुसंधान विकास विभाग (टीआरडीडब्ल्यू) से जुड़े थे जिसने धोनी जैसे क्रिकेटर की प्रतिभा को तलाशा था। बता दें कि टीआरडीडब्ल्यू अब अस्तित्व में नहीं है।

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भारत के सबसे अच्छे चयनकर्ताओं में एक दिलीप वेंगसरकर ने खुलासा किया कि महेद्र सिंह धोनी को 21 साल की उम्र में बीसीसीआई के टीआरडीडब्ल्यू योजना में शामिल किया गया था, जबकि इसके लिए 19 साल की उम्र निर्धारित थी। दिलीप वेंगसरकर ने बताया कि इसके पीछे काफी दिलचस्प कहानी है। उन्होंने कहा बंगाल के पूर्व कप्तान प्रकाश पोद्दार के कहने पर धोनी को इसमें शामिल किया गया था। दरअसल, पोद्दार के आग्रह पर वेंगसरकर ने फैसला किया कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी के लिए नियम नहीं आड़े आने चाहिए।

पोद्दार कैसे धोनी के दीवाने बने इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है, जैसा कि मूवी एमएम धोनी में दिखाया गया है कि पोद्दार जमशेदपुर में एक अंडर-19 मैच देखने गए थे। उसी समय बगल के कीनन स्टेडियम में बिहार की टीम एकदिवसीय मैच खेल रही थी और गेंद बार-बार स्टेडियम के बाहर आ रही थी। इसके बाद पोद्दार ने उत्सुकता हुई कि इतनी दूर गेंद को कौन मार रहा है। जब उन्होंने पता किया तो धोनी के बारे मे पता चला।

वेंगसरकर ने कहा, ‘पोद्दार के कहने पर 21 साल की उम्र में धोनी को टीआरडीडब्ल्यू कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया.’ उन्होंने बताया कि टीआरडीडब्ल्यू को पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने शुरू किया था। डालमिया के चुनाव हारने के बाद हालांकि इसे बंद कर दिया गया। वेंगसरकर ने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) की मौजूदा स्थिति पर निराशा जताते हुए कहा कि यह प्रतिभा निखारने के बजाय खिलाड़ियों का रिहैबिलिटेशन का केंद्र बनता जा रहा है।

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इससे पहले दिलीप वेंगसरकर से जब सवाल किया गया कि क्या वे भी महसूस करते हैं कि उन्हें वह श्रेय नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। इस पर उन्होंने कहा, ‘यह भाग्य की बात है। आपको कड़ी मेहनत करके ईमानदारी से खेलकर टीम के लिए मैच जीतने होते हैं। यह हर क्रिकेटर का लक्ष्य होना चाहिए। इस तरह से जो भी उपलब्धियां या पहचान मिलती है, आपको श्रेय मिलता है या नहीं, यह सब भाग्य की बात है.’।

दिलीप वेंगसरकर का एक रिकॉर्ड आज भी अटूट है। वेंगसरकर ने लाडर्स पर तीन शतक लगाए हैं। इंग्लैंड को छोड़ दें तो ऐसा करने वाले वो एकमात्र अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं। इसके अलावा 1970-80 के दशक के सबसे तेज और खतरनाक वेस्टइंडीज आक्रमण के सामने छह शतक जड़ने का कारनामा भी वेंगसरकर कर चुके हैं।