रायपुर। संवेदनहीनता और लापरवाही का एक बड़ा मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सामने आया है। यहां के सबसे बड़े अस्पताल में मंगलवार दोपहर 2 माह के बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के परिजन उसके इलाज के लिए बिहार से लेकर आए थे। संजीवनी एम्बुलेंस से बच्चे को आंबेडकर अस्पताल लाया गया लेकिन 2 घंटे तक एम्बुलेंस का दरवाजा ही नहीं खुला, नतीजतन ऑक्सीजन न मिलने की वजह से बच्चे की मौत हो गई। जब परिजनों ने एम्बुलेंस का शीशा तोड़कर बच्चे को बाहर निकालना चाहा तो चालक ने उन्हें सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने का हवाला देते हुए रोक दिया।
बताया जा रहा है कि बिहार के गया निवासी अंबिका सिंह की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनके दो माह के बच्चे के दिल में छेद है। वे बच्चे को लेकर दिल्ली एम्स गई थीं, लेकिन वहां इलाज का खर्च ज्यादा बताया गया। उन्हें किसी ने सलाह दी कि वे छत्तीसगढ़ जाएं, वहां सरकारी योजना के तहत नया रायपुर स्थित सत्य साईं अस्पताल में मुफ्त में इलाज होता है।
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वे बच्चे को लेकर ट्रेन से रायपुर पहुंचीं और 108 संजीवनी एम्बुलेंस से सत्य साईं अस्पताल जा रही थीं, इसी दौरान बच्चे की तबियत ज्यादा खराब हो गई। इस पर परिजनों ने एम्बुलेंस चालक से किसी नजदीकी सरकार अस्पताल चलने के लिए कहा तो चालक उन्हें आंबेडकर अस्पताल ले आया। यहां आने पर जब एम्बुलेंस से उतरने की कोशिश कि तो एम्बुलेंस का दरवाजा ही नहीं खुला। दरवाजा खोलने में 2 घंटे लग गए लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।
परिजनों ने आरोप लगाया कि दरवाजा खुलने पर उन्होंने शीशा तोड़कर बच्चे को बाहर निकालना चाहा लेकिन इस पर चालक ने यह कहते हुए उन्हें रोक दिया कि यह सरकारी संपत्ति है और इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकते।
वेब डेस्क, IBC24
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